मामौर झील से 200 बीघा गेंहू की फसल जलमग्न, प्रशासन बेखबर

मामौर झील से 200 बीघा गेंहू की फसल जलमग्न, प्रशासन बेखबर
झील की मेड़ टूटने से खेतों में भरा कई-कई फ़ीट पानी, किसानों ने हलका लेखपाल पर लगाया कॉल रिसीव न करने का आरोप
कैराना। किसानों की बर्बादी का सबब बनी मामौर झील ने एक बार फिर अपना कहर बरपाया है। झील की मेड़ टूटने से करीब 200 बीघा गेंहू की फसल जलमग्न होकर बर्बाद हो गई। किसानों ने हलका लेखपाल पर कॉल रिसीव न किये जाने का आरोप लगाया है। वही, झील टूटने से हुए नुकसान से तहसील प्रशासन पूरी तरह बेखबर है। 
कैराना नगर का गंदा पानी नाले के माध्यम से मामौर झील में जाकर गिरता है। रविवार तड़के मामौर झील की मेड़ पानी के दबाव के सामने टूटकर बह गई। झील की मेड़ टूटने से किसानों के खेतों में बाढ़ आ गई। इससे किनारे पर स्थित मास्टर नरेश, डॉक्टर सतीश, विनोद चौहान, सुरेन्द्र कुमार, पप्पू, रफीक, मुकेश, अय्यूब आदि किसानों की करीब 200 बीघा गेंहू की फसल में झील का पानी भर गया। किसान विनोद ने बताया कि झील का गंदा पानी कई-कई फ़ीट तक खेतों में भर गया है, जिससे गेंहू की फसल पूरी तरह से डूब गई है। झील का पानी खेतों की ओर लगातार बह रहा है, जिससे और अधिक नुकसान होने की प्रबल संभावना है। विनोद का आरोप है कि झील की मेड़ टूटने की सूचना देने के लिए हलका लेखपाल को कई बार कॉल की गई, लेकिन उसने फोन नही उठाया। उधर, मामले के सम्बंध में जानकारी के लिए तहसीलदार कैराना के मोबाइल पर दो बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नही की।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से मिलेगी राहत 
लंबे समय से मामौर झील से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के समाधान कराये जाने की मांग उठती रही है। पूर्व सांसद स्व. बाबू हुकुम सिंह ने भी आवाज उठाई थी। नमामि गंगे की टीम के झील के निरीक्षण के पश्चात झील के पानी को स्वच्छ बनाने हेतु सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापना को मंजूरी मिल गई है। प्लांट निर्माणाधीन है। प्लांट के निर्माण के बाद झील के पानी को ट्रीट कर यमुना नदी में छोड़ा जाएगा। इसके बाद झील के इलाकाई बाशिंदों और किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है।