निजी विद्यालयों की मान्यता के नियमों में बदलाव नहीं होगा: माध्यमिक शिक्षा मंत्री

निजी विद्यालयों की मान्यता के नियमों में बदलाव नहीं होगा: माध्यमिक शिक्षा मंत्री

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन माध्यमिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने स्पष्ट किया कि माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा निजी (वित्तविहीन) विद्यालयों को मान्यता प्रदान करने के नियमों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में खेल और अन्य सह-शैक्षिक गतिविधियों के लिए पर्याप्त मैदान की आवश्यकता होती है, और इसी कारण संशोधित नियमावली में भूमि की न्यूनतम सीमा तय की गई है।

मंत्री ने सदन को बताया कि शहरी क्षेत्रों में मान्यता के लिए 3,000 वर्ग मीटर और ग्रामीण क्षेत्रों में 6,000 वर्ग मीटर भूमि होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि यह नियम गहन विचार-विमर्श के बाद बनाए गए हैं और इसमें बदलाव संभव नहीं है।

नियमावली में बदलाव की मांग

विधान परिषद के सदस्यों डॉ. आकाश अग्रवाल और राज बहादुर सिंह चंदेल ने मुद्दा उठाते हुए कहा कि नई नियमावली के तहत पुराने हाई स्कूलों को उच्चीकृत करना संभव नहीं है। शहरी क्षेत्रों के निजी विद्यालय भूमि की कमी के कारण मैदान नहीं जुटा सकते, लेकिन भवन के विस्तार के माध्यम से उच्चीकरण कर सकते हैं। उन्होंने नियमावली में लचीलापन लाने की मांग की।

शिक्षकों के वेतन पर चर्चा

विधान परिषद के सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने निजी विद्यालयों के शिक्षकों के लिए न्यूनतम 25,000 रुपये वेतन तय करने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव ने भी इस मांग का समर्थन किया। मंत्री गुलाब देवी ने स्पष्ट किया कि अंशकालिक शिक्षकों के वेतन भुगतान की जिम्मेदारी विद्यालय प्रबंधन की है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों का वेतन न्यूनतम मजदूरी से कम नहीं होना चाहिए।

संस्कृत पाठशालाओं की बदहाल स्थिति पर चिंता

ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने प्रदेश की संस्कृत पाठशालाओं की दुर्दशा पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इन पाठशालाओं के भवन जर्जर हो चुके हैं, और शिक्षकों को केवल 15,000 रुपये का मानदेय दिया जा रहा है। उन्होंने इन पाठशालाओं को अनुदान सूची में शामिल करने की मांग की।

सरकार का रुख

माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने सदन में कहा कि नियमावली में संशोधन काफी सोच-विचार के बाद किया गया है। सरकार विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, शिक्षकों की वेतन और संस्कृत पाठशालाओं के मुद्दों पर चर्चा जारी रहेगी।