गरीब बच्चे की आंखों में मैंने दीवाली को मरते देखा : कवि परीक्षित शर्मा

गरीब बच्चे की आंखों में मैंने दीवाली को मरते देखा : कवि परीक्षित शर्मा

लोक साहित्य संस्कृति समिति की ओर से काव्य गोष्ठी आयोजित

ब्यूरो डा योगेश कौशिक

खेकड़ा | लोक साहित्य संस्कृति समिति के तत्वाधान में संपन्न हुई कवि गोष्ठी में कवियों की वाणी में दीपोत्सव की धूम रही, वहीं एडवोकेट परीक्षित शर्मा ने दीपावली का चित्र कुछ इस तरह खींचा कि, हर कोई संपन्न व्यक्ति शर्मसार हो जाए | परीक्षित ने एक गरीब बालक पर केंद्रित रचना में कुछ यूँ पढा - पटाखों की दुकान से दूर हाथों में कुछ सिक्के उसे गिनते देखा, गरीब बच्चे की आंखों में मैंने दीवाली को मरते देखा |

गजेंद्र गजानन की अध्यक्षता व एसडीओ धर्म सिंह के मुख्य आतिथ्य में आयोजित गोष्ठी में कवि सहंस्रपाल धामा ने प्रेरणा देते हुए पढा - काम अच्छा कर चलो, है जिंदगानी आपकी | कवयित्री वैशाली ने बिना कुछ मांगे कह दिया- तुम समझो भावना हमारी, हमने आपकी आरती उतारी | वहीं गजेंद्र गजानन ने कहा- मत चुभो किसी की आंखों में शूल की तरह , रहो तो किसी के दिल में केवल फूल की तरह | युवा कवि अनित शर्मा ने त्यौहार पर वर्तमान परिस्थितियों में कटाक्ष किया - कार्तिक अमावस्या पर दीप तो जले, पर सबको रोजगार और रोटी दाल कहां मिले |

कवि गोष्ठी के मुख्य अतिथि एसडीओ धर्मसिंह ने भक्त रैदास के पद - प्रभु जी तुम चंदन हम पानी, का सस्वर पाठ कर सबको भक्ति रस में डुबकी लगवाई | इस अवसर पर एड निशांत नैन बसी को सम्मानित किया गया |

कवि राजेश कश्यप के संचालन में आयोजित गोष्ठी में विजय, शौकत, सूर्यप्रकाश, एड जगत कौशिक, अमित शर्मा आदि ने भी काव्य पाठ किया |