योग व चरित्र निर्माण शिविर का शुभारंभ, दूसरों को सम्मान देने से बढता है व्यावहारिक पूंजी निवेश : रवि शास्त्री

योग व चरित्र निर्माण शिविर का शुभारंभ, दूसरों को सम्मान देने से बढता है व्यावहारिक पूंजी निवेश : रवि शास्त्री

प्राचीन युद्ध कौशल की शिक्षा शिविरों के माध्यम से देने की मुहिम: अरविंद शास्त्री

संवाददाता आशीष चंद्रमौलि

बिनौली।जिला आर्य प्रतिनिधि सभा बागपत द्वारा श्री महानंद संस्कृत महाविद्यालय लाक्षागृह बरनावा में योग एवं चरित्र निर्माण आवासीय शिविर का उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हुआ।गुरुकुल के ब्रह्मचारियों का मार्गदर्शन करते हुए सभा मंत्री रवि शास्त्री ने कहा, दूसरों को सम्मान देना एक व्यावहारिक पूंजी निवेश है, जो कई गुना होकर आपको वापस मिलता है। 

सवाल किया कि,सम्मान कौन नहीं चाहता?-- इसे सभी चाहते हैं, परंतु बहुत से लोग ऐसे देखे जाते हैं, जो दूसरों को सम्मान देना नहीं चाहते, केवल लेना ही चाहते हैं। यह न्याय नहीं है।बताया कि,विद्या, धन ,बल , सेवा, परोपकार आदि अनेक कारण हैं, जिनके आधार पर दूसरों को सम्मान दिया जाता है। महर्षि मनु जी ने बताया कि, सबसे पहले अधिक सम्मान वैदिक विद्वान, आचरणशील ब्राह्मण, सन्यासी आदि को देना चाहिए। दूसरे स्थान पर परोपकारी व्यक्ति व समाज सेवक हो। तीसरे स्थान पर वयोवृद्ध को सम्मान दिया जाना चाहिए। चौथे क्रम पर मित्र , संबंधी ,रिश्तेदार हो। पांचवें स्थान पर धनवान व्यक्ति को सम्मान देना चाहिए। विद्यार्थियों से आह्वान किया यदि आप भी दूसरों से सम्मान प्राप्त करना चाहते हो, तो अवश्य ही आप भी दूसरों को यथा योग्य सम्मान दें। यही मानवता है। 

प्राचार्य अरविंद शास्त्री ने कहा, प्राचीन युद्ध कौशल कला को हम शिविरों के माध्यम से ब्रह्मचारियों को सीखाकर संरक्षित करने का कार्य करेंगे।इस अवसर पर आचार्य धर्मवीर आर्य, प्राचार्य अरविंद कुमार शास्त्री, मंत्री राजपाल त्यागी, प्रधान यशोधर्मा सोलंकी, वीके त्यागी, सौदान शास्त्री, गुरु वचन शास्त्री, देवेंद्र शास्त्री, संजीव शास्त्री, विजय कुमार भाई आदि मौजूद रहे।