रोहित स्वीट्स में पिता के सहयोगी बनकर पैसा और सुख के मुकाबले धर्म चर्चाओं में परम आनंद : दीक्षार्थी संभव जैन
ब्यूरो डा योगेश कौशिक
बड़ौत | नगर निवासी 18 वर्षीय संभव जैन बसंत पंचमी को सांसारिक मोह माया से विरक्त होकर समाज को भी परम आनंद के लिए जैन समाज को प्रेरित करने के उद्देश्य से दीक्षा लेंगे |
संभव जैन ने पिता रोहित जैन व माता दीपा जैन के साथ भी उनके व्यापार रोहित स्वीट्स की जनपद में प्रसिद्धी और आगामी योजनाओं पर चर्चाओं में कभी दिलचस्पी नहींं ली | हाँ, धर्म चर्चा में, अध्ययन में तथा संतों के संसर्ग में उसकी ज्यादा रुचि जानकर कभी कोई नाराज भी हुआ, तो न विरोध किया और न क्रोध ही प्रकट किया |
बड़ौत नगर निवासी 18 वर्षीय संभव जैन के पिता रोहित जैन, माता दीपा जैन हैं! आपकी परिवारिक पृष्ठभूमि व्यापार से जुड़ी हुई है! के पिताजी का बड़ौत नगर के प्रसिद्ध रोहित स्वीट्स के नाम से जाना माना व्यापार है!
पैतृक रूप से संभव जैन बिनौली कस्बे से संबंध रखते हैं, परंतु पिछले करीब 20 वर्षों से उनके दादाजी हरीश चंद्र जैन बड़ौत नगर में परिवार सहित आ गए थे!
दीक्षार्थी संभव जैन एवं उनके संपूर्ण परिवार की रूचि शुरू से ही स्थानकवासी जैन धर्म और जैन साधु साध्वीओं के प्रति श्रद्धा निष्ठा की रही है ! उनके संपूर्ण परिवार में रात्रि भोजन त्याग एवं जैन श्रावक के सभी नियमों का पालन किया जाता है! अपने परिवारजनों एवं माता-पिता की स्वीकृति लेकर संभव जैन 2 वर्ष पूर्व कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के समय श्रुतधर ज्ञान गच्छाधिपति प्रकाश चंद्र महाराज के पास राजस्थान के जोधपुर नगर में धार्मिक अध्ययन हेतु चले गए थे! स्थानकवासी जैन परंपरा के साधु साध्वीयों के नियम इत्यादि का अभ्यास एवं आवश्यक धार्मिक पठन-पाठन करके जब वे दीक्षा के योग्य हुए तो उनके परिवार ने उनको जैन सन्यास ग्रहण करने की सहर्ष स्वीकृति प्रदान की!
मूलतः बिनौली कस्बे से अपने पिता के साथ बडौत आए संभव जैन ,अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं तथा उनकी एक छोटी बहन भी है | संभव जैन का बढती युवावस्था के बावजूद धन संपत्ति वैभव व समृद्ध विरासत को त्याग कर कठिन जैन साधु दीक्षा ग्रहण करने का संकल्प समस्त बड़ौत नगर में चर्चा एवं श्रद्धा का विषय बना हुआ है |
दीक्षार्थी संभव जैन एवं उनके संपूर्ण परिवार की रुचि शुरू से ही स्थानकवासी जैन धर्म और जैन साधु साध्वियों के प्रति श्रद्धा निष्ठा की रही है | उनके संपूर्ण परिवार में रात्रि भोजन त्याग एवं जैन श्रावक के सभी नियमों का पालन किया जाता है |
बताया गया कि,अपने परिजनों एवं माता-पिता की स्वीकृति लेकर संभव जैन 2 वर्ष पूर्व कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के समय श्रुतधर ज्ञान गच्छाधिपति प्रकाश चंद्र महाराज के पास राजस्थान के जोधपुर नगर में धार्मिक अध्ययन हेतु चले गए थे, स्थानकवासी जैन परंपरा के साधु साध्वियों के नियम इत्यादि का अभ्यास एवं आवश्यक धार्मिक पठन-पाठन करके जब वे दीक्षा के योग्य हुए ,तो उनके परिवार ने उनको जैन सन्यास ग्रहण करने की सहर्ष स्वीकृति प्रदान की |