चित्रकूट-राष्ट्रीय रामायण मेला के दूसरे दिन श्रीरामचरित मानस को लेकर विद्वानों के बीच हुआ मंथन।

चित्रकूट-राष्ट्रीय रामायण मेला के दूसरे दिन श्रीरामचरित मानस को लेकर विद्वानों के बीच हुआ मंथन।

चित्रकूट: विद्वत गोष्ठी का संचालन करते हुए डा. चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित ललित ने श्रीराम और रावण की लंका विजय का रहस्य उजागर करते हुए कहा कि वानरो की सेना बनाने व उन्हें संगठित करने राम दल का प्रमुख युद्ध कौशल मां भगवती सीता ने चित्रकूट की धरती में लक्ष्मण अपने प्रिय देवर को दिया था। यह प्राचीन तथ्य अरण्य प्रिया काव्य में हिन्दी साहित्य के वरिष्ठ कवि श्री दीक्षित ललित ने दिया। चित्रकूट में आदिम काल से ही वानर जो वैश्यानर अर्थात अग्निदूत के बारे मं जाने जाते है विशाल संख्या में पाए जाते रहे हैं।

 बांदा के मानस किंकर पं राम प्रताप शुक्ला ने राष्ट्रीय रामायण मेले के बारे में अपने विचार रखते हुए कहा कि शिवरात्रि पावन पर्व पर डा0 राममनोहर लोहिया के सपनो को साकार करने के लिए रामायण मेले का 51वां समारोह पांच दिनों तक हो रहा है। इन दिनो तीर्थराज प्रयाग से चल कर चित्रकूट आ जाते हैं। जहां श्रोताओं को चार फल धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का बोध होता है। उन्होंने बताया कि प्रयाग जाकर स्नान करने से वहां भी चार फल मिलते हैं। जिनमें तीन फल धर्म, अर्थ, काम तो जीवनकाल में मिल जाते हैं और चैथा फल शरीर छूटने के बाद मिलता है। यहां पर संत समाज जुटकर सत्संग कर रामभक्ति की चर्चा से सुरसरि की धारा बहाते हैं। निराकार परमात्मा की व्याख्या कर अदृश्य सरस्वती के दर्शन करते हैं। कलिमल हरनी यमुना में स्नान कराते हैं। त्रिवेणी रूपी संगम की चर्चा हरि (विष्णु), हर (शिव) के रूप में करके त्रिवेणी महात्म्य की चर्चा करते हैं। बट विश्वास अचल निज धर्मा के साथ अक्षय वट के महात्म्य से जोड़ते हैं। ऐसे राष्ट्रीय रामायण मेले की महिमा है जो संतो के प्रवचन सुनकर समझेगा प्रसन्नचित्त होकर हृदयगम करेगा तो तुलसीदास कहते हैं उस श्रोता को जीते जी चारो फल मिल जाएंगें। ‘सुन समझई जन मुदित मन, मंजहि अति अनुराग, लहहि चार फल अक्षत तनु, साधु, समाज प्रयाग’।

----रामकथा प्रवचन------ 

चित्रकूट: मप्र भिडं के प्रवक्ता देवेन्द्र चैहान रामायणी ने भरत जी की महिमा का वर्णन करते हुए प्रश्न किया कि सीप से सागर को खाली किया जा सकता है। उन्होंने मानस के अनुसार प्रमाण देते हुए कहा कि भरत के अंदर आठ महासागर है। जिनमें भरत शील गुण विनय बड़ाई, भाईप भगति भरोस भलाई। कहत शारदहु कर मत हीचे, सागर सीप जाएं उलीचें। प्रत्येक महासागर का वर्णन अलग-अलग प्रकार से किया गया है। भरत जी का शील उनकी विनम्रता, गुण, बड़ाई, भ्रातृत्व प्रेम और भगति, भरोसा, भलाई हैं। 

 पश्चिम बंगाल दार्जलिंग सिलीगुडी के महाकवि मोहन दुकुन ने प्रभु श्रीराम और भगवान शिव के बारे में बताया कि जब पृथ्वी, आकाश, जीव नहीं था तब नांद व बिन्दु रूप में शिव जी रहे। पहली बार शिव हंसे तो अपना रूप ले लिया। इसके बाद ब्रह्मांड को तैयार किया। दाहिने हाथ से ब्रह्मा जी को तैयार किया। बांए हाथ से हरि की उत्पत्ति की। धीरे-धीरे जीवात्मा की रचना की। इसके बाद ब्राह्मा, विष्णु और शिव ने सिर्फ बेटा को पैदा, लेकिन बेटी नहीं बनाया। जब तीनो देवो को यह महसूस हुआ कि नारी की जरूरत है तो ओंकार शब्द बोलकर शिव जी ने अर्द्धनारेश्वर का रूप लिया। इसके बाद अपने ही शरीर को दो भागों में विभाजित कर नर और नारी की उत्पत्ति की जो शिव और जगदम्बा बने। तब जाकर संसार का स्रजन हुआ। मानव कल्याण के लिए देवी व देवताओं को जिम्मेदारी दी गई। जैसे सरस्वती को ज्ञान, शारदा को विद्या, लक्ष्मी को धन, जीवो के स्रजन के लिए ब्रह्मा, पालन पोषण में विष्णु, रक्षा के लिए शिव को दायित्व दिए गए। इसी प्रकार अन्य देवो-देवीयो को अलग-अलग कार्य सौपे। उन्होंने बताया कि समस्त ब्रह्मांड शिवमय है। श्री दुकुन ने शिवाधीन नाम से महाकाव्य लिखा, जिसमें संपूर्ण वर्णन किया। 

 बबेरू बांदा से पधारे पं लक्ष्मी प्रसाद शर्मा मानस मर्मज्ञ ने भगवान श्रीराम के नाम के प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि राम नाम कर अमित प्रभावा, राम नाम अभिमत कलदाता, हित परलोक लोक पितु माता। भगवान श्रीराम का नाम इस लोक में माता-पिता की तरह रक्षा करता है और उस लोक में भी हितकारी है। भगवान शिव का वाहन बैल, माता पार्वती का वाहन सिंह, गणेश जी का वाहन चूहा, भगवान शिव के गले में सर्प तथा मयूर कार्तिकेय जी का वाहन है जो जन्मजात एक दूसरे के दुश्मन है, परन्तु राम नाम के प्रभाव से सभी एक जगह बड़े प्रेम के साथ रहते हैं। हमें भी मानव शरीर पाने के पश्चात भगवान के पावन नाम का जाप करके अपने जीवन को कृतार्थ करना चाहिए। राष्ट्रीय रामायण मेला चित्रकूट की पावन धरा से यह संकल्प लेकर जाएं कि 24 घंटे में से कुछ समय निकाल कर भगवान के नाम का स्मरण अवश्य करें। यही हमारे जीवन का अंतिम लक्ष्य है। भक्त प्रहलाद ने केवल राम नाम के प्रभाव, जप से सभी विषम परिस्थितियों में कमल की भांति खिले रहे। उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सका है। अस्तु भगवान के भजन के द्वारा ही जीवन का कल्याण होता है। संचालन कवि रामलाल द्विवेदी प्राणेश ने किया।

सर्वाधिक प्रचारित है श्रीराम कथा 

चित्रकूट: अपनी गरिमा के लिए रामायण मेला की चिर पहचान है। विश्व में जितना रामकथा का प्रचार हुआ उतना अन्य कथाओं का नहीं। हनुमान रामकथा के रसिक हैं, उन्होंने तुलसी को राम से मिलाया। आज हनुमान चालीसा का पाठ घर-घर होता है। ये बातें अयोध्या से पधारे मानस मराल डा0 कृष्णमणि चतुर्वेदी मैत्रेय ने कही। रामायण मेला के मंच पर पुरजोर शब्दो में दावा करते हुए उन्होंने बताया कि आज समाज में यह बात प्रचलित हो रही है कि हनुमान चालीसा की छठी चैपाई में शंकर सुवन केशरी नंदन नहीं शंकर स्वयं केशरी नंदन पाठ शुद्ध है। स्वयं पाठ केवल हनुमानगढ़ी की दीवार पर लगे मार्बल के पत्थर पर अंकित है, जिसे गोरखपुर के रघुनाथ प्रसाद ने रामदास अग्रवाल की स्मृति में 3 सितम्बर 1966 को लगवाया था। मुझे 1966 के बहुत पहले सम्वत 1934 सन् 1877 के हस्तलिखित हनुमान चालीसा में सुवन पाठ मिला अतः शंकर सुवन केशरी नंदन पाठ प्राचीन एवं प्रमाणित है। मैत्रेय जी ने दावा किया कि लाला बद्री प्रसाद ने हनुमान चालीसा को लिपिबद्ध किया था जो पुराने देशी कागज पर अंकित है। स्वयं पाठ किसी प्राचीन प्रति में नहीं मिला। अग्रवाल बन्धु उसे किस आधार पर अंकित करवाए इसका उत्तर अभी तक अनुत्तरित है। अन्य प्राचीन प्रतियों में सुवन पाठ मिलता है। 

कलाकारो ने लूटी वाहवाही 

चित्रकूट: चित्रकूट में लगातार 51 वर्षो से आयोजित हो रहे राष्ट्रीय रामायण मेले में जिस कार्यक्रम का लोगों को बेसब्री से इंतजार होता है वह है प्रतिदिन शाम को होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम। मेला का विशाल मंच शाम होते ही रंग-बिरंगी रोशनी से सराबोर होते ही दर्शक अपनी-अपनी कुर्सियों पर आसन जमा लेते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्वारात्मिका इंस्टीट्यूट आफ डांस एण्ड म्युजिक के कलाकारों ने एक से बढ़कर एक मनोहारी प्रस्तुतियां दी। मंजू देवी, पिंकी सरोज और अर्चना ने गणेश वंदना, शिव स्तुति और देवी गीत पर नृत्य कर दर्शकों का मन मोह लिया। इन कलाकारों ने मिर्जापुर की मशहूर कजरी विधा पर भी मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। जब से पीएम नरेन्द्र मोदी ने 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम के नए नवेले भव्य मंदिर में भगवान श्रीराम के प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की है तब से पूरे देश में राम भक्तों का उल्लास आसमान छू रहा है। जब पूरा देश राममय हो तब भला रामायण मेला के मंच से रामोत्सव की धूम नजर न आए यह कैसे हो सकता है। लखनऊ से आए कलाकारों के दल ने मंच से भगवान राम के जन्म की लीलाओं को लेकर नृत्य प्रस्तुत किया तो पूरा पांडाल दर्शकों की तालियों से गूंज उठा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की अगली कड़ी में प्रयागराज से आई पूजा अग्रवाल ने कथक नृत्य के माध्यम से अपनी कला का बेजोड नमूना प्रस्तुत किया। कथक नृत्य की विधा का बखूबी प्रदर्शन करते हुए पूजा अग्रवाल दर्शको को बांधे रखने में सफल रहीं। एक के बाद एक कभी एकल तो कभी सामूहिक कथक नृत्य का लोगों को भावविभोर कर दिया। पूजा अग्रवाल भारतीय प्रयाग संगीत समिति में प्रोफेसर हैं और देश-विदेश में इन्होंने अपनी नृत्य की प्रस्तुतियां दी है।

 शनिवार को सुबह मेले के कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया व राजाबाबू पांडेय ने आरती कर रामलीला का शुभारंभ कराया। प्रभु श्रीराम का माल्र्यापण किया गया। इसके पूर्व शुक्रवार की रात श्री बृज कृष्णलीला रामलीला संस्था के द्वारा रामायण मेला के मंच पर प्रभु श्रीराम के जन्म की लीला का सजीव मंचन किया गया। पूरे तीन घंटे तक पांडाल भगवान राम के जन्म के उल्लास में डूबा रहा। वृंदावन से आए साधक कलाकारों के सजीव अभिनय ने लोगों का मन मोह लिया। भगवान राम की बाल लीलाओं की प्रस्तुति इतनी सुंदर और मनमोहक थी कि लोग सांस थामे श्रीराम लीलाओं का रसस्वादन करते रहे। रामलीला के बीच-बीच में प्रभु श्रीराम के भजन दर्शकों को रामभक्ति में गोते लगाने पर विवश करते रहे। रामलीला की प्रस्तुति के उपरांत रामायण मेला के मंच से बटुको ने जय बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन उपाध्याय के संयोजकत्व में सुंदर कांड का पाठ किया। सह संयोजक संदीप रिछारिया रहे। इस दौरान कार्यकारी अध्यक्ष को गमला भेंटकर सम्मानित किया गया। श्री उपाध्याय व उनकी पत्नी राष्ट्रीय प्रभारी अर्चना उपाध्याय इन दिनो रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराने की मुहिम में जुटे हुए हैं। सायं बेला में नृत्य कलाग्रह बांदा के कलाकारों ने नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। प्रयागराज के गणेश श्रीवास्तव के भजन, लोकगीतों को दर्शकों ने खूब सराहा। इसके पश्चात उ.म.क्षे. सांस्कृतिक केन्द्र लखनऊ के कलाकारों ने भजन गायन प्रस्तुत किया। रंजना मिश्रा व राधिका मिश्रा द्वारा गाए गए भजनों का श्रोताओं ने भरपूर आनंद लिया। इसके बाद महोबा के लखनलाल यादव एण्ड गु्रप के भजनों ने समां बांध दिया। रामाधीन आर्या एवं साथी कलाकार मऊरानीपुर ने आनंदमयी मनोहारी भजन एवं गीत गाए। सांस्कृतिक संध्या के बाद देर रात तक बृज कृष्णलीला रामलीला संस्था वृंदावन के कलाकारों की रासलीला ने दर्शकों का मन मोहा। अनुपमा त्रिपाठी बांदा के कथक नृत्य आकर्षण का केन्द्र रहे। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री करुणा शंकर द्विवेदी ने किया।

 इस मौके पर कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया, महामंत्री करुणा शंकर द्विवेदी, शिवमंगल शास्त्री, विनोद मिश्रा, राजाबाबू पांडेय, डा घनश्याम अवस्थी, मो यूसुफ, ज्ञानचन्द्र गुप्ता, राम प्रकाश श्रीवास्तव, इम्त्यिाज उर्फ लाला, सत्येन्द्र पांडेय, हेमंत मिश्रा, विकास आदि मौजूद रहे।