काशी विश्वनाथ और अजमेर शरीफ से लौटे श्रद्धालु देंगे नया संदेश
क्षीरसागर परिवार की 3000 श्रद्धालुओं को तीर्थ यात्रा कराने की योजना
धर्म गुरुओं और विधायक ने माना इसे मानवता भरा कदम।
उरई। क्षीर सागर गुरुवार की शाम एक नये अध्याय के साथ प्रस्तुत हुआ। अपने साथ इतिहास का एक नया पृष्ठ जोड़ लिया। परिवार की इच्छाशक्ति ने प्रसन्नता की 'पाजेब' पहना दी। गंगा- जमुनी तहजीब की धारा का बहाव देख चारु चंद्र की सर्द किरणें भी मुस्कुराने- इठलाने लगीं। कहते हैं कि सदियों बाद ऐसा अवसर आया जब दो धर्मों के लोगों को खुद के खर्चे पर ऐसी यात्राएं साथ-साथ करने को रवाना किया गया।
क्षीर सागर में धर्म के रास्ते से सदभाव की धारा बहाने की कोशिश हुई। अब इसका बहाव कितना और कैसा होगा ? इसका पता तब चलेगा जब दोनों यात्राएं शहर लौटेंगी। फिर भी इस आयोजन की अपने- अपने ढंग से अब चर्चा शुरू हो चुकी है। दरअसल पिछले दिनों नम्रता 'तिवारी' दीक्षित और सुदामा दीक्षित ने अपने लोगों के बीच एक प्लान तैयार किया था कि हिन्दू और मुस्लिम परिवारों को अपने खर्चे पर बाबा विश्वनाथ और अजमेर शरीफ की यात्रा कराई जाए। दोनों धर्मों से करीब 1500-1500 श्रद्धालुओं को दर्शन करने की योजना बनी। मतलब काफी समय तक श्रद्धालु जाते और लौटते रहेंगे। धार्मिक और सांस्कृतिक सदभाव के लिए इस कदम को महत्वपूर्ण बताया जा रहा। खुद ऐसा वक्ताओं ने माना।
दृश्य भी बहुत खास था ! परिसर में काशी विश्वनाथ और अजमेर शरीफ के दर्शन के लिए हिन्दू- मुस्लिम श्रद्धालु एक साथ बैठे थे।उनमें किसी तरह का असमंजस न होकर खुशी थी। दोनों ओर के धर्म गुरुओं की ओर से सभी तीर्थ यात्रियों के लिए मंगलमय यात्रा की कामना की गई। सुदामा- नम्रता की ओर से जब उन्हें माला पहनाई गई तो उनकी खुशी और बढ़ गई। धर्म आधारित इस सोच को नम्रता 'तिवारी' दीक्षित और पूर्व ब्लाक प्रमुख सुदामा दीक्षित जमीं पर लेकर आये तो इसे प्रशंसा के शब्दों से नहला दिया गया।
सभी ने माना कि गंगा- जमुनी संस्कृति की अवधारणा को इससे मजबूती मिलेगी। सुदामा भी क्या खूब ठहरे ! महंत सिद्धन महाराज का माल्यार्पण कर उनके चरणों में शीश झुकाकर संस्कार भरी अपनी भावना निचोड़ दी। महाराज भी प्रसन्नता से भर गए। इसके बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं का भी खैरमकदम किया गया। सिद्धन महाराज ने कहा कि इस कार्य के लिए जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम है। ईश्वर उन्हें जरूर ताकत देगा। हाफिज मंजूर ने कहा कि जो प्रयास नम्रता- सुदामा ने किया है , सदभावना कायम रखने के लिए बहुत काबिले तारीफ प्रयास है। कालपी विधायक विनोद चतुर्वेदी ने कहा कि इस वक्त जब सामाजिक और धार्मिक सद्भाव की स्थिति ठीक नहीं है, ऐसे में धार्मिक यात्रा का यह प्रयास सराहनीय है। सपा जिलाध्यक्ष नवाब सिंह यादव ने कहा कि उरई के इस नेक कार्य की सुगंध पूरे देश तक पहुंचेगी। पूरे समाज में सद्भावना का संदेश प्रसारित होगा। नम्रता 'तिवारी' दीक्षित अतीत में लौट गईं। कहा उनके पिता का हमेशा यही कहना रहताथा कि समाज के लिए जियो। उरई के मुस्लिम समाज से भी उनके परिवार को बहुत स्नेह और सम्मान मिला है। धार्मिक यात्रा के माध्यम से उनका कुछ ऋण चुकाने की मेरी कोशिश भर है। सुदामा दीक्षित ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी प्रयास को राजनीतिक रूप न दिया जाए। चुनाव लड़ूं या न लड़ूं ये धार्मिक यात्राएं हमेशा जारी रखी जाएंगी। इसके अलावा प्रदीप दीक्षित, पूर्व मंत्री दयाशंकर वर्मा, अशोक गुप्ता, सुरेंद्र मौखरी, सोहराब खान ने भी संबोधित कर इस कार्य की खुले दिल से प्रशंसा की। मिर्जा साबिर बेग ने भजन और नातिया पाक प्रस्तुत किया। बाद में महंत सिद्धन महाराज , हाफिज अब्दुल जब्बार, हाफिज जमील, विधायक विनोद चतुर्वेदी ने हरी झंडी दिखाकर दोनों धार्मिक दलों को बसों से रवाना किया। संचालन शफीकुर्रहमान कशफी ने किया। इस दौरान हाफिज जब्बार,, हाफिज जमील, कारी शमशुल कमर, हाफिज शेख मोहम्मद, महेश शिरोमणि,जीवन बाल्मीकि, अनिरुद्ध द्विवेदी, मांडवी निरंजन, वीरेंद्र यादव, विनोद वर्मा आदि रहे।