नोएडा : औद्योगिक विकास के नाम पर श्रमिकों और पर्यावरण का शोषण
नोएडा, सेक्टर-68 के गढ़ी चौखंडी स्थित औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से निकलता धुआँ जहां एक ओर क्षेत्र के औद्योगिक विकास का प्रतीक माना जा सकता है, वहीं दूसरी ओर यह प्रदूषण और श्रमिक शोषण की भयावह सच्चाई को उजागर करता है।
श्रमिक शोषण चरम पर
क्षेत्र के श्रमिकों ने आरोप लगाया है कि औद्योगिक इकाइयों में श्रम कानूनों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। सरकार द्वारा निर्धारित वेतनमान का पालन नहीं किया जा रहा, और 8 घंटे की कार्यावधि पूरी करने के बाद भी अतिरिक्त 2 घंटे का काम जबरन लिया जा रहा है। वेतन भुगतान को खातों में दिखाकर सब कुछ "नीट एंड क्लीन" दिखाया जा रहा है, जबकि वास्तविकता इससे कोसों दूर है।
प्रदूषण बना गंभीर समस्या
औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ और जहरीली गैसें क्षेत्र की वायु गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं। यह प्रदूषण नोएडा को दिल्ली जैसी जहरीली हवा की ओर धकेल रहा है। स्थानीय प्रदूषण विभाग की उदासीनता ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
स्थानीय श्रम विभाग और प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी इस मुद्दे पर मौन साधे हुए हैं। श्रमिकों का कहना है कि उनकी शिकायतें अक्सर अनसुनी कर दी जाती हैं, जिससे पूंजीपति वर्ग को श्रमिकों और पर्यावरण के शोषण का खुला लाइसेंस मिल गया है।
स्थानीय निवासियों और संगठनों की मांग
स्थानीय संगठनों और निवासियों ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि श्रम कानूनों के उल्लंघन और पर्यावरण प्रदूषण करने वाली इकाइयों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
सवाल उठते हैं
क्या औद्योगिक विकास का मतलब श्रमिकों का शोषण और पर्यावरण को बर्बाद करना है?
कब जागेंगे श्रम और प्रदूषण विभाग के अधिकारी?
क्या शासन-प्रशासन इस मामले पर ठोस कदम उठाएगा?
(रिपोर्ट: स्थानीय संवाददाता)