मानसून सत्र के पहले दिन उ.प्र विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध विधेयक- 2024 पेश

महेन्द्र राज (मण्डल प्रभारी)
अवैध मतांतरण की गंभीर घटनाओं की रोकथाम के लिए सरकार ने कानून का दायरा और सजा की अवधि विस्तारित की है।अवैध मतांतरण की गंभीर घटनाओं की रोकथाम के लिए सरकार ने कानून का दायरा और सजा की अवधि बढ़ाई है।छल- कपट अथवा बलात् कराए गए मतांतरण के मामलों में कानून और सख्त।अब किसी महिला को अपने जाल में फंसाकर मतांतरण करा कर उत्पीड़न की घटना यानी 'लव जिहाद' के दोषियों को पहली बार उम्र कैद तक की सजा होगी। अभी तक ऐसे मामलों में अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा और 50 हजार रुपये तक जुर्माना निर्धारित था। मतांतरण के लिए विदेशी फंडिंग में अब सात से 14 वर्ष तक की सजा तथा कम से कम 10 लाख रुपये तक जुर्माना होगा।अब यदि कोई व्यक्ति मतांतरण कराने की नीयत से किसी व्यक्ति को उसके जीवन या संपत्ति के लिए धमकाता है,हमला करता है,विवाह या विवाह करने का वादा करता है अथवा षड्यंत्र करता है, नाबालिग,महिला या किसी व्यक्ति की तस्करी करता है तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा।ऐसे मामले में आरोपित को कम से कम 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास तक की सजा व जुर्माने से दंडित किया जाएगा।न्यायालय पीडि़त के इलाज के खर्च और पुनर्वास के लिए धनराशि जुर्माने के रूप में तय कर सकेगी। गंभीर अपराधों की भांति अब कोई भी व्यक्ति मतांतरण के मामले में भी एफआइआर दर्ज करा सकेगा। पहले मतांतरण से पीडि़त व्यक्ति, उसके स्वजन अथवा करीबी रिश्तेदार की ओर से ही एफआइआर दर्ज कराने की व्यवस्था की गई थी।अवैध मतांतरण के मामले बढने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा कानून बनाने का निर्देश दिया था। इसके अनुपालन में प्रदेश में नवंबर 2020 में उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लागू किया गया था। इसके उपरांत विधानमंडल ने उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 को मंजूरी दी थी जिसमें अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा तथा 50 हजार रुपये तक जुर्माना निर्धारित किया गया था।
कानून का दायरा व सजा बढ़ने का प्रस्ताव
अब कानून का दायरा और सजा दोनों बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है।सभी अपराधों को गैरजमानती बनाते हुए जमानत के आवेदन पर पहले लोक अभियोजक का पक्ष सुने जाने की व्यवस्था भी की गई है। इनका विचारण सेशन कोर्ट से नीचे नहीं होगा।
यह प्रावधान सुनिस्चित
नाबालिग,दिव्यांग,मानसिक रूप से दुर्बल, महिला, अनुसूचित जाति व जनजाति के व्यक्ति के मतांतरण पर न्यूनतम पांच वर्ष से 14 वर्ष तक का कारावास तथा न्यूनतम एक लाख रुपये जुर्माना।सामूहिक मतांतरण के मामले में कम से कम सात वर्ष से 14 वर्ष तक की सजा तथा न्यूनतम एक लाख रुपये जुर्माना।मतांतरण के लिए नाबालिग की तस्करी के जुर्म मे आजीवन कारावास व जुर्माने का प्रावधान है।