कहां होली के दिन मनाया जाता है शोक, तीन दिवस शोक के उपरांत खेली जाती है होली।

रमेश बाजपेई
डलमऊ रायबरेली।जब पूरा देश होली के दिन खुशियां मना रहा होता है रंगों में सराबोर रहता हैं
वही गंगा नदी के तट पर बसी ऐतिहासिक नगरी डलमऊ समेत 28 गांव होली का पर्व नहीं मनाते बताया जाता है होली के तीन दिवस बाद होली व रंगो का जश्न मानते है। लोग अपने प्रतापी राजा डलदेव की मृत्यु का शोक मनाते हैं जो होली के दिन वीरगति को प्राप्त हुए थे। स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार जौनपुर का धूर्त राजा इब्राहीम शाह शर्की राजा डलदेव व डलमऊ से शत्रुता का भाव रखता था पर वह राजा डलदेव की ताकत को भली भांतिजानता था इसलिए वह सीधे युद्ध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया ऐसे में कुटिल षड्यंत्र रच डाला। होली के पर्व पर पूरे राजा डलदेव अपनी प्रजा के साथ ठंडाई व भांग के नशे में धुत रहते हुए होली के त्योहार मनाते थे यह बात इब्राहिम शाह शर्की को पता थी। इसका फायदा उठाकर होली के दिन डलमऊ पर चोरी से हमला कर दिया।अचानक हमले से राजा डलदेव और डलमऊ की प्रजा घबरा गई फिर भी राजा डलदेव उनके वीर सैनिकों ने धूर्त इब्राहिम शाह शर्की की सेना से बहादुरी पूर्वक संघर्ष किया लेकिन अचानक हुए हमले में उन्हें संभलने का मौका नही मिला और होली की मस्ती में चूर राजा डलदेव उनके वीर सैनिकों ने भीषण युद्ध किया लेकिन अन्त में राजा डलदेव वीरतापूर्वक लड़ते हुए बीरगति को प्राप्त हुए जनश्रुतियों के अनुसार राजा डलदेव का सर कट जाने के बाद भी वो लड़ते रहे और दुश्मनों को मौत के घाट उतारा सदियों पूर्व घटित यह लोमहर्षक घटना आज भी क्षेत्रवासियों के जेहन में ताजा है और अपने प्रतापी राजा की याद में होली तीन दिन बाद मनाते है।