क्यों मनाई जाती है शहादत दिवस के रूप में राजा डालदेव पासी की पुण्य तिथि

क्यों मनाई जाती है शहादत दिवस के रूप में राजा डालदेव पासी की पुण्य तिथि

ब्यूरो रमेश बाजपेई 

डलमऊ रायबरेली। रंग उत्सव होली के दिन जिला पासी समाज के तत्वाधान में अम्बेडकरवादियों ने माँ गंगा के पावन तट पर स्थित राजा डालदेव पासी के प्राचीन किले के अवशेष परिसर में राजा डालदेव की पुण्य तिथि को शहादत दिवस के रूप में मनाया।इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक अध्यक्ष देशराज पासी ने कहा कि राजा डालदेव पासी चार भाई थे। डालदेव पासी डलमऊ, बालदेव पासी भरौली रायबरेली, ककोरन पासी सुदभानपुर व भावो पासी अरखा के राजा थे। राजा डालदेव लगातार अपना साम्राज्य बढ़ा रहे थे। उसी समय जौनपुर का मुगल शासक इब्राहिमशाह सर्की ने कई बार डलमऊ के किले पर हमला किया, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।

  डालदेव ने 1402 से 1440 तक राज्य किया। मुगल शासक ने डलमऊ के बघेल सरदार को पैसों के बल पर खरीद लिया। होली के दिन जब राजा व सैनिक होली के रंग में मस्त थे। उसी समय किले का गेट बघेल ने खोल दिया। मुगल शासक ने अचानक हमला कर दिया और राजा डालदेव शहीद हो गये, तब से उस पूरे क्षेत्र में लोग आज भी होली का त्योहार होली के दिन नहीं मनाते हैं। इस अवसर पर समाजसेवी , अर्थों सर्जन डॉo प्रशांत कुमार रावत ने कहा कि राजा डालदेव के प्रति सच्ची श्रद्धाँजलि यही होगी कि हम सबको नशे का परित्याग कर अपने बच्चों को शिक्षा दिलाए। कार्यक्रम का संचालन कर रहे अम्बेडकरवादी राजेश कुरील ने कहां हमारे बहुजन समाज के इतिहास को मनुवादियों तोड़ मरूड़ कर पेश कर खत्म कर दिया हम सब बहुजनों को अपना इतिहास जानना पड़ेगा और खुद गांव गांव जाकर समाज को बताना पड़ेगा।

 कार्यक्रम में दुर्गेश पासी महाराजगंज ,रामभरोस एडवोकेट कल्लू पासी टेंट हाउस , शत्रोहन गौतम,शिवमंगल पासी ,महेश पासी, रामाधार रावत ,राम अवध बक्शी , संदीप रावत हरचंदपुर, अर्जुन रावत ,डॉक्टर शैलेंद्र रावत, विजय पासी उन्नाव, बृजेश पासी ऊंचाहार ,दीपचंद पासी ऊंचाहार , अरविन्दपासी, आरिजपासी, संदीपपासी, प्रेमचंद्र पासी, ओमप्रकाश पासी, शैलेंद्रपासी, रंजीत रावत, रामराजपासी, सुधाकर पासी, अखिलेश पासी कोराली, सत्यनारायण पासी, जितेन्द्र पासी आदि लोगों ने राजा डालदेव की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कैंडल जलाकर उनके कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और श्रद्धांजली अर्पित किया।