सिद्धचक्र महामंडल विधान से श्रद्धालुओं के नष्ट हो जाते हैं जीवन के पाप, ताप व संताप :माता चंद्रमति

सिद्धचक्र महामंडल विधान से श्रद्धालुओं के नष्ट हो जाते हैं जीवन के पाप, ताप व संताप :माता चंद्रमति

संवाददाता शशि धामा

 खेकड़ा | कस्बे के दिगंबर जैन मंदिर में मंगलवार को सिद्धचक्र महामंडल विधान में शांतिधारा का आयोजन हुआ , वहीं बडागांव में आर्यिका चन्द्रमति माताजी ने मंगल प्रवचन किए। 

कस्बे के पार्श्वनाथ दिगंबर जैन प्राचीन मंदिर में सुबह जाप्य कर्म हुआ तथा श्रीजी का अभिषेक किया गया। शांति धारा के साथ पूजन विधान में श्रद्धालु परिवारों ने प्रभु की आराधना की। महा आरती के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए। प्रतिष्ठाचार्य जयकुमार निशांत ने विधान को पूर्ण कराया। 

बडागांव में विधान के दौरान मंगल प्रवचन करते हुए आर्यिका चन्द्रमति माताजी ने कहा कि ,सिद्धचक्र महामंडल विधान से दिव्य शक्तियां प्रकट होती हैं। यह विधान सभी विधान का राजा है , जिसे करने से मनुष्य के जीवन के सभी पाप, ताप और संताप नष्ट हो जाते हैं। सिद्ध शब्द का अर्थ है कृत्य, चक्र का अर्थ समूह और मंडल का अर्थ वृत्ताकार यंत्र से है। बताया कि, पुराणों के अनुसार मैना सुंदरी ने सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन कर अपने कोढ़ी पति श्रीपाल को कामदेव जैसा सुंदर बना दिया था। विधान में नीतू जैन, सुमेर जैन, अंकित जैन, यश, हर्ष, तुषार, अर्पित, समयक, वंश, सर्वज्ञ, अनिकेत शुभम, संदीप, वैभव, अतिश्य, अभिषेक आदि ने पूजन किया।