काशी में मंदिर स्थल अवैध कब्जेधारियों से मुक्त कब होगा योगी जी
जहां भाजपा सरकार मोदी जी का संसदीय क्षेत्र और अध्यात्म ज्ञान विज्ञान की नगरी काशी अपने आप में विश्व में विशेष पहचान और यहां की महता अलग है वही अवैध अतिक्रमणकारियों द्वारा मंदिर अब स्थल को भी नहीं बख्शा जा रहा है !आखिर वजह क्या है कौन है जिम्मेदार वह अधिकारी जो मौन है या सांठगांठ से संचालित हो रहा नेताओं की सरपरस्ती...!
आइए बताते हैं एक पौराणिक मंदिर जहां सिर्फ दरवाजे का गेट वह भी ऊपर देखने से पता चलेगा अन्यथा नीचे तो कब्जे धारियों ने व अपने खुद के निजी स्वार्थ के लिए साधना स्थल बनाकर मंदिर की रास्ते को कब्जा कर लिया है और प्रशासन को लगातार इस बारे में मीडिया द्वारा संज्ञान देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है आखिर वजह क्या है ..?? दूरदराज से आए दर्शनार्थी इस मंदिर के बारे में जब जाना चाहते हैं और कोई अंदर प्रवेश करता है तो कब्जेधारी उस पर अपनी हुकूमत और सवालों की बौछार कर अंदर कैसे आ गए कौन भेजा है कौन हो तुम जैसे मानसिक संकीर्णता के साथ उस व्यक्ति को प्रताड़ित करता है !
क्या आपने सुना है मंदिर स्थल जहां लोग अपने आराध्य का दर्शन के लिए आते हैं उसके जगह को कब्जा कर मंदिर रास्ते मार्ग की चौड़ाई कम कर घेरा किया जा सकता है ..??
बनारस के ह्रदय स्थली गोदौलिया क्षेत्र में काशी खंड स्थित श्री काशी राज काली मंदिर जिस के प्रांगण में अति प्राचीन गौतमेश्वर महादेव जी का मंदिर भी स्थित है जिसकी स्थापना स्वयं काशी नरेश के पूर्वज ने की थी जिस कारण प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के दिन महाराज काशी नरेश स्वयं गौतमेश्वर महादेव व व मां काली के दर्शन की परंपरा शुरू की थी जिसके फलस्वरूप काशी की जनता को भी अपने महाराज के दर्शन का लाभ मिलता था और काशी की जनता का यह महाराज के दर्शन कर हर-हर महादेव के उद्घोष की परंपरा भी बन गई थी परंतु पिछले कई सालों से मंदिर प्रांगण में कुछ लोग मनमानी कर मंदिर के मुख्य द्वार पास अवैध तरीके कचोरी जलेबी की दुकान लगाकर व होडिंग लगा कर तो वही मंदिर जाने वाले रास्ते मार्ग पर मंदिर की रास्ते की चौड़ाई घेर अतिक्रमण कर अवैध कब्जा कर मंदिर तक पहुंचने के मार्ग को अवरुद्ध कर दिया गया है जिससे कि भवन स्वामी स्वयं महाराज का वाहन मंदिर तक पहुंचने में असमर्थ हो गया है जिसके परिणाम स्वरूप महाराज नहीं पिछले 18 वर्षों से दर्शन की परंपरा को लगता है छोड़ दिया है और काशी की जनता भी अपने महाराज के दर्शन से वंचित रह गई है इस संदर्भ में शासन व प्रशासन को अवैध कब्जे द्वारा गुमराह किया जा रहा है अब तो इस प्राचीन परंपरा की सांस की डोर टूटती नजर आ रही है इस खबर के माध्यम से काशी की जनता अपने महाराज से निवेदन करती है कि इस अति प्राचीन परंपरा को पुनः प्रारंभ किया जाए जिससे कि काशी के नई पीढ़ियों को अपने महाराज के दर्शन वह अपनी परंपरा का बोध होता रहे।