प्रभु श्री कृष्ण ने गोवर्धन लीला के पीछे छिपे आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक रहस्य को उजागर किया

प्रभु श्री कृष्ण ने गोवर्धन लीला के पीछे छिपे आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक रहस्य को उजागर किया

दीक्षा अर्थात ईश्वर को अपने अंतर्घट में देख लेना  साध्वी स्वाति भारती

सिंभावली हापुड़
, सिम्भावली स्थित मधुबन गार्डन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्रीमदभागवत कथा ज्ञानयज्ञ का भव्य आयोजन किया जा रहा है I कथा के छटे दिवस श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या भागवताचार्या साध्वी स्वाति भारती जी ने गोवर्धन लीला के पीछे छिपे अध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक रहस्यों को उजागर किया I
छटे दिन का शुभारम्भ श्री  दिनेश खेड़ा  मस्टर कर्मवीर जी सूर्यप्रकाश उनियाल जी                                                                    जी द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ I
कथा व्यास जी ने बताया कि प्रभु श्री कृष्ण ने गोवेर्धन लीला द्वारा प्रकृति पूजन का सन्देश दिया पर दुर्भाग्यवश आज मनुष्य कृष्ण को तो मानता है लेकिन कृष्ण की नहीं मानता I आज प्रत्येक व्यक्ति भागवत का पाठ करता है और दूसरी ओर अपने वातावरण को अशुद्ध भी करता है, क्योंकि उसने शास्त्रों को मात्र कंठस्थ कर लिया उन्हें हृदयस्थ करके अपने जीवन में लागू नहीं किया I आज अनेक आयोजनों द्वारा समाज में प्रकृति संरक्षण के प्रति जागरूकता लायी जा रही है, परन्तु जब तक मनुष्य ब्रह्मज्ञान द्वारा आत्मिक स्तर से जागृत नहीं होगा तब तक वह प्रकृति का सही मायनों में पूजन नहीं कर सकता I 
साध्वी लोकेशा भारती जी ने बताया कि श्री कृष्ण ने भी स्वयं ऋषि दुर्वासा की शरण में जाकर ब्रह्मज्ञान की दीक्षा को प्राप्त किया था I दीक्षा अर्थात ईश्वर को अपने अंतर्घट में देख लेना I स्वयं ईश्वर के अवतार होने के बाद भी श्री कृष्ण ने समस्त मानवजाति को एक पूर्ण संत की शरण में जाकर दीक्षा प्राप्त करने का सन्देश दिया I इसीलिए, आज आवश्यकता है कि हम भी एक पूर्ण गुरु द्वारा ब्रह्मज्ञान की दीक्षा को प्राप्त करें और अपने जीवन को कृष्णमय बनाएं I
मंच पर उपस्थित दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य-शिष्याओं द्वारा भक्तिमयी मधुर भजनों को सुन सभी का मन आनंदित हो उठा I