नोएडा सेक्टर-68 में फुटपाथ पर अवैध पार्किंग से राहगीरों की परेशानी, प्रशासन मौन

नोएडा, 27 दिसंबर:

नोएडा के सेक्टर-68 (गढ़ी चौखंडी) के मंडी चौराहे पर स्थित औद्योगिक संस्थानों, "पेड्गेट" और "यूटो", ने पैदल पथ और सड़कों पर अवैध पार्किंग करके राहगीरों और स्थानीय निवासियों के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर दी हैं। स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब यह पार्किंग उसी स्थान पर की जाती है जहां पर "पार्किंग निषेध" का बोर्ड स्पष्ट रूप से लगा हुआ है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, इन संस्थानों के सुरक्षा कर्मी आए दिन झुग्गी वालों और छोटे व्यापारियों को फुटपाथ और सड़कों से भगाते हैं, जबकि खुद संस्थान के वाहन इन स्थानों पर कब्जा किए रहते हैं। इस दोहरे मापदंड से स्थानीय लोग और छोटे व्यापारी नाराज हैं।

राहगीरों का संघर्ष
चौराहे पर अवैध पार्किंग के कारण पैदल पथ पूरी तरह बाधित हो गया है। राहगीरों को सड़क पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। स्थानीय निवासी और राहगीर सवाल उठा रहे हैं कि यदि पार्किंग निषेध है, तो वहां वाहन किसकी अनुमति से खड़े हो रहे हैं।

छोटे व्यापारियों पर हो रहा अन्याय
झुग्गी और खोमचे वाले छोटे व्यापारियों के लिए यह स्थान रोजगार का साधन है। लेकिन औद्योगिक संस्थानों के कर्मी उन्हें जबरदस्ती वहां से हटा देते हैं। सवाल उठता है कि क्या बड़ी मछलियां एक बार फिर से छोटी मछलियों को निगल जाएंगी?

प्रशासन की भूमिका पर सवाल
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि प्रशासन ने या तो इन औद्योगिक संस्थानों को विशेष सुविधा दी है या उनकी लापरवाही के चलते यह अराजकता बढ़ रही है। लोगों का कहना है कि फुटपाथ और सड़कों को प्राइवेट संस्थानों के लिए आरक्षित कर देना न केवल गैर-कानूनी है बल्कि आम जनता के अधिकारों का भी उल्लंघन है।

क्या कह रहे हैं स्थानीय लोग?
एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हम रोजाना इस अराजकता से जूझते हैं। प्रशासन को बार-बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।"

समाधान की मांग
राहगीरों और व्यापारियों ने प्रशासन से मांग की है कि अवैध पार्किंग के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए और पैदल पथ को आम जनता के लिए पुनः उपलब्ध कराया जाए। साथ ही, छोटे व्यापारियों के रोजगार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

अंत में सवाल यह है:
क्या प्रशासन इन प्रभावशाली औद्योगिक संस्थानों के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा, या आम लोगों की समस्याएं अनदेखी रह जाएंगी?