भगवान भक्तों के ज्ञान नही बल्कि प्रेम के वशीभूत होते है- कुणाल जी महराज।

ऐ तो प्रेस की बात है उधौ, बंदगी तेरे बस की नही है।
भदोही। गोपीगंज क्षेत्र के अमवां माफी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के संगीतमय प्रवचन में कथावाचक कुणाल जी महराज ने भगवान और भक्त के रिश्तों पर विस्तार से चर्चा की। महाराज ने कहा कि भगवान की कृपा से भक्तों के बड़े बड़े से पापी को भी तार देते है। कहा कि जीवन में जिस कार्य को प्रारम्भ किया जाये उसे पूर्ण करके आराम करे और अच्छे कार्य में भगवान भी भक्तों का सहयोग करते है। कुणाल महराज ने कहा कि भगवान को लोग जिस भाव से देखते है भगवान भी उसी प्रकार से अपनी कृपा बरसाते है। कहा कि कोई भगवान को बालक के रूप में देखता है तो कोई दुश्मन के रूप में देखता है भगवान भी उस जीव को ठीक उसी प्रकार अपनी कृपा करते है। दूसरो का दोष देखने वाला खुद ही दोषी होता है। इसलिए लोगों के दोष को देखना आदत नही बनाना चाहिए। कुणाल महराज ने कहा कि सच्चा मित्र वही है जो मित्र के काम आता है। इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण और उधौ गहरे मित्र थे। उधर जी तत्व के ज्ञाता थे। जिस प्रकार से पुत्र और पुत्र से सुख होना अलग बात होती है। केवल समय का महत्व होता है न कि वस्तु का महत्व होता है। कुणाल महराज ने कहा कि गोपियों के भक्ति से वशीभूत होकर भगवान श्रीकृष्ण हमेशा याद में खोये रहते थे। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर उधौ जी गोपियों को समझाने जाते है। कहा कि गोपियों ने बताया कि जिस जगह से भगवान चले जाये उस जगह का क्या महत्व है? बताया कि गोपियां उधौ से बात नही की बल्कि भौरे से बात करते हुए अपनी बात रखती है। गोपियों ने कहा कि कृष्ण जिसका चित्त चुरा लिया वह कभी भी शांति में नही रख सकता है। कहा कि भले उधौ जी तत्व ज्ञानी थे लेकिन गोपियों के ज्ञान के आगे उधौ जी नही टिक पाये लेकिन भक्ति के वश में वशीभूत होकर गोपियों के जवाब से उधौ जी को ज्ञान करा दिया और उधौ जी ने गोपियों को अपने से कई गुना श्रेष्ठ है। कहा कि गोपियों से ज्ञान सीखने के लिए उधौ जी छ माह तक कृष्ण के पास आये और गोपियों के ज्ञान की सराहना करते हुए उनकी काफी सराहना की। इस मौके पर गंगाधर पाण्डेय, यमुनाधर पाण्डेय, संजय पाण्डेय, अजय पाण्डेय, यज्ञ नारायण पाण्डेय, नंदलाल पाण्डेय, रवि शंकर पाण्डेय, रत्नेश पाण्डेय समेत भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।