समाज व राष्ट्र के लिये एक जागरूक, विचारशील तथा श्रेष्ठ आर्य बनें :उपेन्द्र आर्य

समाज व राष्ट्र के लिये एक जागरूक, विचारशील तथा श्रेष्ठ आर्य बनें :उपेन्द्र आर्य

संवाददाता आशीष चंद्रमौली

बड़ौत|वैदिक गुरुकुल द्वारा साक्षी शिवम एजुकेशनल पब्लिक स्कूल वाजिदपुर में लघु छात्र गुरुकुल संस्कार शाला काआयोजन किया गया। 

जिसमें छात्र- छात्राओं से मनुष्य विषय पर प्रश्नोत्तर शैली में चर्चा की गई। चर्चा में वैदिक गुरुकुल के प्रचारक उपेन्द्र आर्य द्वारा छात्र- छात्राओं को मनुष्य कैसा होता है? क्या करता है? क्या पहचान है मनुष्य की? पशु और मनुष्य में क्या अंतर होता है? संबंधित विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई। और साथ ही बताया कि एक व्यक्ति पढ़ लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर, न्यायाधीश, अध्यापक, पुलिस अधिकारी, सेना का अधिकारी तो बन जाता है पर मनुष्य नहीं बन पाता है। जब व्यक्ति विचार करना छोड़ देता है तो वह स्वयं तो दुःखी रहता ही है अन्यों को भी दुःख देता रहता है साथ ही बताया कि आप पढ़ लिखकर अध्यापक, डॉक्टर, इंजीनियर, न्यायाधीश, पुलिस अधिकारी अथवा जो भी बने पर सबसे पहले समाज, राष्ट्र के लिये एक जागरूक, विचार शील व्यक्ति अर्थात श्रेष्ठ आर्य बनें। एक सज्जन, धार्मिक, परोपकारी, समाज हितैषी, राष्ट्र हितैषी व्यक्ति ही आर्य अर्थात श्रेष्ठ होता है। प्रश्नोत्तर काल में प्रश्नों के सही उत्तर देने वाले छात्र को पुरस्कार देकर पुरस्कृत भी किया गया।

स्कूल के प्रधानाचार्य मास्टर सतेन्द्र तोमर ने छात्र-छात्राओं को बताया कि चार वेदों, सामवेद, ऋग्वेद, अथर्ववेद और यजुर्वेद ने समाज का मार्ग प्रशस्त किया। आर्य समाज एक ईश्वर में विश्वास करता है, जिसे "ओम" से जाना जाता है, जो सर्वज्ञ, सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान, सभी न्यायप्रिय और आनंदमय, बुद्धिमान और दयालु का स्रोत है। इस अवसर पर मास्टर रविकांत शर्मा, मास्टर सावन, अंजुम मलिक, बलराम, शिक्षिका अंजू तोमर, नेहा, आरती, पूनम नीतू आदि स्कूल का स्टाफ मौजूद रहा।

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