चित्रकूट-तुलसीपीठ के उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र दास पर लगाए आरोप साबित हुए निराधार - न्यायालय ने जारी किए आदेश।

चित्रकूट-तुलसीपीठ के उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र दास पर लगाए आरोप साबित हुए निराधार  - न्यायालय ने जारी किए आदेश।

चित्रकूट: तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरू स्वामी रामभद्राचार्य के उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्रदास पर लगाए गए आरोप निराधार साबित हुए हैं। 

   गौरतलब है कि मिर्जापुर जिले के लालगंज थाने में आचार्य रामचन्द्रदास के विरूद्ध फरवरी 2022 में पाक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराई गयी थी। मामले की विवेचना के बाद पुलिस ने इसे समाप्त करने की संस्तुति करते हुए न्यायालय में रिपोर्ट दाखिल की थी। जिसके बाद मिर्जापुर की स्पेशल कोर्ट पाक्सो एक्ट ने इस मामले में आचार्य रामचन्द्र दास को तलब करने का आदेश पारित किया था। जिसके विरूद्ध उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका की थी। उच्च न्यायालय ने विवेचना निष्कर्ष को स्वीकार करते हुए एवं वादी द्वारा भी प्रकरण त्रुटिवश दर्ज होने के बयान पर विचार करते हुए एफआईआर और दाण्डिक प्रक्रिया को निरस्त करने का आदेश दिया था। जिसके बाद जिला न्यायालय ने शुक्रवार को दाण्डिक वाद समाप्त किए जाने का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया। आचार्य रामचन्द्र दास के अधिवक्ता कृष्ण मोहन त्रिपाठी ने कहा कि एक झूठे मामले से देश के सबसे प्रतिष्ठित संत की परम्परा का कीचड़ उछाला गया था। समाज इस प्रकरण को पहले की निराधार और विद्वेषपूर्ण मान रहा था। आज न्यायालय के आदेश के बाद यह प्रकरण पूरी तरह से समाप्त हो गया है। एक निर्दोष व्यक्ति को दो वर्ष तक मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा, किन्तु सांच को आंच नहीं की कहावत आखिर में सही साबित हुई है। गौरतलब है कि जगद्गुरू रामभद्राचार्य महाराज द्वारा लगभग पांच वर्ष पूर्व देश भर के प्रमुख संतों की मौजूदगी में चित्रकूट के तुलसीपीठ में हुए पट्टा अभिषेक कार्यक्रम में आचार्य रामचन्द्र दास को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। इसके बाद आचार्य रामचन्द्र दास द्वारा वर्ष 2022 में विशाल हिन्दू महाकुम्भ का आयोजन चित्रकूट में कराया गया था। इस आयोजन के बाद से ही कुछ लोग आचार्य रामचन्द्र दास से द्वेष मानने लगे। जिसके परिणाम स्वरूप यह मुकदमा दर्ज करा दिया गया था। न्यायालय के आदेश के बाद आचार्य रामचन्द्र दास ने कहा कि गुरू, गोविन्द और भारत की न्याय प्रणाली पर उन्हें पूर्ण विश्वास था। इस फैसले के बाद यह विश्वास और पुख्ता हुआ है। उनके मन में किसी के प्रति द्वेष नहीं है। विषम परिस्थितयों में विश्वास बनाए रखने वालों के वह हमेशा आभारी रहेंगे।