चित्रकूट-हिन्दुस्तानी संगीत के जरिए सामाजिक समरसता का संदेश।

चित्रकूट-हिन्दुस्तानी संगीत के जरिए सामाजिक समरसता का संदेश।

चित्रकूट: सामाजिक समरसता में हिंदुस्तानी संगीत की भूमिका विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में चित्रकूट के रामघाट पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ। संगोष्ठी का आयोजन जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय के संगीत विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दृष्टि दिव्यांग कलासाधिका डॉ ज्योति वैष्णव के गणेश वंदना से हुआ। इसके बाद काशी से आए प्रो प्रवीण उद्धव एवं श्रुति सील की जुगलबंदी ने चित्रकूट में काशी के गंगा घाट की अनुभूति कराई। डॉ राम शंकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी, डॉ चारू चंद्र, प्रियांशु घोष, डॉ सुरेंद्र कुमार के गायन के साथ भातखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय के डॉ मनोज मिश्र की तबला संगत ने लोगों को शास्त्रीय रागों में आनंदित होने को विवश कर दिया। शास्त्रीय गायन के साथ जब होली और चैती का गान हुआ तो लोग झूमने को विवश हो गए। 

    पद्म विभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि संगीत एक ऐसी कला है जो व्यक्ति में भावनाओं का उद्दीपन करती है। इसलिए कला साधक को हमेशा ऐसी संगीतिक रचना करनी चाहिए, जिससे व्यक्ति के हृदय में सुंदर विचारों और भावनाओं का उद्भव हो। ऐसी रचनाएं नहीं करनी चाहिए जो व्यक्ति में सांसारिक और दुखों को प्रदान करने वाले भावनाएं उत्पन्न करें। संगीत व्यक्ति की भावनात्मक संवेगों के उद्दीपन का माध्यम है। यदि संगीतकार सहृदयी हो, भक्त हो, सच्चा साधक हो तो उसकी कला से समाज में सद्भाव ही विस्तारित होता है। इसलिए समाज में समरसता व्याप्त करने के लिए संगीत सबसे सशक्त माध्यम है। ग्वालियर संगीत विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो साहित्य कुमार नाहर, विनोद द्विवेदी, प्रो प्रवीण उद्धव, डॉ नरेंद्र देव पाठक, डॉ सुरेंद्र कुमार सभी विषय विशेषज्ञ के रूप में शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया। कुलाधिपति के निजी सचिव रमापति मिश्रा ने संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए विभाग को शुभकामनाएं दी। संगोष्ठी में कुल 110 शोधार्थी देश-विदेश से पंजीकृत हुए जिन्होंने अपने शोध पत्रों का वाचन किया। पंडित धर्मदास शास्त्री कनाडा से एवं चितरंजन दास गुप्ता टेक्सास से शोधार्थियों को विषय विशेषज्ञ के रूप में सामाजिक समरसता पर अपने विचारों से लाभान्वित किया। कुलपति शिशिर पांडेय ने सभी शोधार्थियों को सामाजिक समरसता में संगीत के महत्व को बताते हुए प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया। संगोष्ठी में आए हुए विद्वानों का स्वागत डॉ विशेष नारायण मिश्र ने किया। आभार ज्ञापन डॉ ज्योति विश्वकर्मा ने किया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ गोपाल कुमार मिश्रा ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया। 

    इस मौके पर तुलीसीपीठ के युवराज आचार्य रामचन्द्र दास, कुलसचिव मधुरेद, डाॅ विनोद मिश्रा, डाॅ महेंद्र उपाध्याय, अमित अग्निहोत्री, निहार मिश्रा, रजनीश सिंह, डाॅ रीना पांडेय, डाॅ नीतू तिवारी, डाॅ तृप्ति रस्तोगी, एस पी मिश्रा, डाॅ विशेष दुबे, ओमप्रकाश, डाॅ किरण तिवारी, पूजा भार्गव आदि मौजूद रहे।