लालापुर में महर्षि वाल्मीकि आश्रम को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग।

चित्रकूट। लालापुर स्थित महर्षि वाल्मीकि आश्रम, जो भारतीय इतिहास और सनातन संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र है, वर्षों से उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। आश्रम की स्थिति को लेकर महर्षि वाल्मीकि आश्रम सेवा समिति के अध्यक्ष चंद्रदत्त पाण्डेय ने उच्चाधिकारियों को एक पत्र लिखकर इसके संरक्षण और विकास की मांग उठाई है।
चंद्रदत्त पाण्डेय ने अपने पत्र में कहा कि पर्यटन विभाग द्वारा आश्रम में मंदिर एवं स्मारक का निर्माण करने की योजना व्यर्थ साबित हो सकती है, क्योंकि इससे आश्रम का वास्तविक विकास अधूरा रह जाएगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पर्यटन विभाग की योजनाएं केवल औपचारिकता बनकर रह जाती हैं और निधियों का सही उपयोग नहीं हो पाता।
धार्मिक संस्थाओं को सौंपा जाए कार्य
पाण्डेय ने सुझाव दिया है कि इस ऐतिहासिक स्थल के विकास का कार्य विश्व हिंदू परिषद और अन्य धार्मिक-सांस्कृतिक संस्थाओं को सौंपा जाना चाहिए, जो न केवल आश्रम को भव्य रूप दे सकें, बल्कि इसके सांस्कृतिक महत्व को भी बनाए रख सकें।
महर्षि वाल्मीकि स्मारक का निर्माण हो
उन्होंने महर्षि वाल्मीकि, जिन्हें 'आदि कवि' और 'रामायण' के रचयिता के रूप में जाना जाता है, के नाम पर एक राष्ट्रीय स्मारक बनाने की भी मांग की है। उनका कहना है कि ऐसा स्मारक न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करेगा, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा।
स्थानीय जनता का समर्थन
स्थानीय लोगों और धार्मिक संगठनों ने भी इस मांग का समर्थन किया है। उनका कहना है कि महर्षि वाल्मीकि आश्रम न केवल चित्रकूट, बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। इसे उपेक्षित रखना हमारी विरासत के साथ अन्याय होगा।
सरकार से अपील
चंद्रदत्त पाण्डेय और स्थानीय जनता ने सरकार और संबंधित विभागों से अपील की है कि वे इस स्थल के समग्र विकास के लिए ठोस कदम उठाएं। महर्षि वाल्मीकि आश्रम को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देकर इसे भारतीय संस्कृति का गौरव बनाया जाए।
यह कदम न केवल आश्रम के संरक्षण में मदद करेगा, बल्कि भारत की गौरवशाली परंपरा और महर्षि वाल्मीकि के योगदान को भी विश्व पटल पर उजागर करेगा।