संत पूजन और विशाल भंडारे के साथ भागवत कथा का भव्य समापन।

संत पूजन और विशाल भंडारे के साथ भागवत कथा का भव्य समापन।

चित्रकूट। श्रीकृष्ण चरित्र की भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की त्रिवेणी प्रवाहित करने वाली श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का शनिवार को भक्तिमय वातावरण में भव्य समापन हुआ। कथा के अंतिम दिन संत पूजन के साथ विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति की।

सुदामा चरित्र से मिला जीवन का संदेश

जिला मुख्यालय स्थित कमल निवास में आयोजित इस दिव्य कथा के समापन सत्र में कथा व्यास डॉ. बृजेश कुमार पयासी ने भागवत वेदांत के गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में समझाया। उन्होंने कहा कि कथा विराम का दिन सद्गुरु के प्रति श्रद्धा प्रकट करने और कथा के उपदेशों को जीवन में धारण करने का संकल्प लेने का दिन होता है।

उन्होंने दशम स्कंध में वर्णित सुदामा चरित्र की महिमा बताते हुए कहा कि सुदामा की गरीबी, उनकी पत्नी का त्याग और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा जीवन के अनमोल आदर्श हैं। भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा का मिलन प्रेम, भक्ति और समर्पण का अनुपम उदाहरण है।

गोपियों की भक्ति और उद्धव का ज्ञान

कथा व्यास ने कहा कि श्रीकृष्ण के प्रति गोपियों का प्रेम सांसारिक मोह से परे था। उनकी भक्ति में प्राकृत काम की गंध तक नहीं थी। इस प्रेम की पवित्रता ने देवगुरु बृहस्पति के शिष्य और श्रीकृष्ण के परम मित्र उद्धव को भी भक्ति रस में सराबोर कर दिया।

उन्होंने बलराम के गोकुल विहार, श्रीकृष्ण की पत्नियों के प्रेमातिरेकपूर्ण वियोग और द्वारका के महलों के दिव्य वर्णन को भी विस्तार से समझाया।

श्रीकृष्ण-सुदामा की झांकी ने मोहा मन

भागवत कथा के समापन अवसर पर श्रीकृष्ण-सुदामा की सजीव झांकी प्रस्तुत की गई, जिसने श्रद्धालुओं को अभिभूत कर दिया। झांकी के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की मित्रता, करुणा और भक्ति का संदेश दिया गया।

हजारों श्रद्धालुओं ने भंडारे में ग्रहण किया प्रसाद

कथा के अंत में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर धर्मलाभ अर्जित किया। इस आयोजन से पूरे क्षेत्र में आध्यात्मिक उत्साह और भक्ति का माहौल बना रहा।

गणमान्य जन रहे उपस्थित

इस पावन अवसर पर कथा श्रोता सोमा शुक्ला, पूर्व विधायक आनंद शुक्ला, शिखा, मनीष शुक्ला, अनुभा, संतोष चतुर्वेदी, रामनरेश त्रिपाठी, गोपीकृष्ण पाण्डेय, संजय शुक्ला, आद्विक त्रिपाठी, देवेन्द्र त्रिपाठी, विजय मिश्र, सरिता त्रिपाठी, हर्ष पाण्डेय, सतीश तिवारी समेत अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।

श्रीमद्भागवत कथा का यह दिव्य आयोजन श्रद्धालुओं के लिए न केवल आध्यात्मिक ज्ञान का स्रोत बना, बल्कि भक्ति और सद्भाव का संदेश भी देकर गया।