IIT बाबा अभय सिंह: करोड़ों का पैकेज छोड़ बने इंजीनियर बाबा, जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी

बाबा अभय सिंह, जिन्हें लोग अब "इंजीनियर बाबा" के नाम से जानते हैं, ने अपनी जिंदगी में एक अनोखा सफर तय किया है। कनाडा में करोड़ों के पैकेज और शानदार करियर को छोड़कर उन्होंने अध्यात्म की राह चुनी और आज वे अपने विचारों और जीवनशैली से लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। कनाडा में शानदार करियर अभय सिंह ने IIT से पढ़ाई पूरी करने के बाद कनाडा में नौकरी शुरू की। उन्होंने बताया कि उनकी शुरुआती सैलरी तीन लाख रुपये प्रति महीने थी। समय के साथ उनकी सैलरी में लगातार इजाफा हुआ, और वे करोड़ों के पैकेज पर पहुंच गए। लेकिन इस दौरान वे खुद को अधूरा महसूस कर रहे थे। भारत लौटने का फैसला बाबा अभय सिंह ने अपने करियर को अलविदा कहने का बड़ा फैसला लिया और भारत लौट आए। उनका कहना है कि पैसा और भौतिक सुख सुविधाएं जीवन में खुशी नहीं देतीं। भारत आकर उन्होंने अध्यात्म और समाज सेवा को अपना उद्देश्य बनाया। इंजीनियर से बाबा बनने का सफर बाबा अभय सिंह ने अपनी इंजीनियरिंग की शिक्षा और अनुभव का उपयोग समाज की भलाई के लिए करना शुरू किया। वे पर्यावरण संरक्षण, युवाओं को प्रेरित करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने जैसे कार्यों में सक्रिय हैं। उनकी सादगी और दूरदर्शिता ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई।

IIT बाबा अभय सिंह: करोड़ों का पैकेज छोड़ बने इंजीनियर बाबा, जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी

प्रयागराज में महाकुंभ में शामिल होने के लिए कई साधु संत पहुंचे हैं. वहीं कुछ संत तो ऐसे हैं जो समाजिक जीवन छोड़कर अध्यात्म की खोज में जुट गए हैं. बाबा अभय सिंह ने बताया कि वह कनाडा में नौकरी कर रहे थे. तीन लाख महीना वेतन मिलता था लेकिन वो उसे छोड़ अध्यात्म की खोज में निकल पड़े.

अच्छा जीवन जीने के लिए कोई डॉक्टर बनता है तो कोई इंजीनियर बनता है. मकसद यह होता है कि इतने पैसै कमा लें जिससे की सामान्य जीवन आप अच्छे तरीके से जी सकें. बावजूद इसके ऐसे भी लोग हैं जो अध्यात्म की खोज के लिए लाखों करोड़ों की नौकरी छोड़कर निकल पड़े हैं.

अभय सिंह ने कहा कि मैं कनाडा में नौकरी कर रहा था. उस वक्त तीन लाख प्रति महीने की उनकी सैलरी थी. उसके बाद सैलरी में इजाफा भी हुआ और काफी अच्छी सैलरी पर वह वहां से छोड़कर भारत आ गए.

विवाह को लेकर क्या बोले?

अभय सिंह ने कहा कि जब आईआईटी मुंबई से निकलकर फैशन डिजाइनर का कोर्स करने के बाद मेरे पास नौकरी के साथ-साथ घर बसाने का भी विकल्प था. बावजूद इसके कुछ ऐसी बात थी कि ऐसा लगता था कि कमी है. बस फिर क्या जो इच्छा हुई भी वह समय के साथ जाती रही.

असली साइंस कुछ और है

बाबा अभय सिंह ने कहा कि मैंने दसवीं तक की पढ़ाई हरियाणा में की. उसके बाद मैंने आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से पढ़ाई की तो ऐसा लग रहा था ऐरोनॉटिक्स इंजिनियर ही सबकुछ है. लेकिन उसके बाद भी लगा कि जिस सांइस को मैने पढ़ा है, वो तो कुछ है ही नहीं. उन्होंने कहा कि अभी जो आध्यात्म पढ़ रहे हैं वही असली साइंस है.

पूरा परिवार छोड़कर आया

अभय सिंह ने कहा कि उनके पीछे पूरा परिवार है. उनके पिता पेशे से वकील हैं. उनकी एक बहन है जो कनाडा में रहती है. उन्होंने कहा कि बहुत मुश्किल था इस सामाजिक दायरे को तोड़ना. हालांकि उन्होंने कहा कि अब वह घर नहीं जाते हैं.