सफल जीवन जीने के लिए नीति और रीति के ज्ञान के साथ ही पालन भी आवश्यक: आचार्य विशुद्ध सागर

सफल जीवन जीने के लिए नीति और रीति के ज्ञान के साथ ही पालन भी आवश्यक: आचार्य विशुद्ध सागर

ब्यूरो डा योगेश‌ कौशिक

बडौत | दिगम्बराचार्य विशुद्धसागर जी महाराज ने ऋषभ सभागार में आयोजित धर्मसभा में कहा कि, 
सफल जीवन जीने के लिए नीति और रीति का ज्ञान के साथ ही उसका पालन भी आवश्यक है। नीति-रीति के अभाव में व्यक्ति असफल ही होता है। नीतिशास्त्र अपनी प्रज्ञा से विपत्ति को भी सहन कर संपत्ति प्राप्त कर लेता है। जो जीवन के मूल्य को समझता है, वह एक पल भी व्यर्थ नहीं व्यतीत करता।


       
जैन संत ने कहा कि, संकटों में धैर्य रखो ,जो धैर्यवान होता है वह संकटों में भी विचलित नहीं होते। धैर्यवान हमेशा ऊँचाइयों को प्राप्त करता है। धैर्य ही सिद्धियों का दाता है। धैर्यशाली जंगल में भी अपने कर्तव्यों को नहीं छोड़ता है। धैर्य एक शक्ति है, जिसके बल पर बड़े-से-बड़े संकट को सहन किया जा सकता है।

 बताया कि  जनक-जननी को संस्कारहीन संतान और गुरु को विनयहीन शिष्य धरातल पर गिरा देता है। बड़े-बड़े योद्धाओं को जो सम्राट् परास्त कर देता है, वह अपनी ही उद्दण्ड संतान से पराजित हो जाता है। जीवन में हमेशा सिर ऊँचा करके जीना है, तो अपनी संतान को सँभालकर रखो। अपने सगे ही, दगा देते हैं | विश्व पर राज्य करना है, तो अपने घर के लोगों को प्रसन्न रखो। आपके निकट रहने वाले ही आपकी कमियाँ जानते हैं।

बाढ़ आ जाए तो किसी पेड़ या चट्टान को पकड़ कर जान बचा लेना, फिर पुनः जीवन जीना। ऐसे ही जब-जब परिणाम बिगड़ें, पापों के तूफान चलें, भोगों की याद आये, तो सच्चे गुरुओं की शरण ले लेना, प्रभु के द्वार चले जाना, तुम्हारी रक्षा हो जाएगी।
    
सभा का संचालन मनोज जैन ने किया।दीप प्रज्वलन दिगंबर जैन समाज समिति के अध्यक्ष प्रवीण जैन, अनिल जैन,पुनीत जैन द्वारा किया गया।पाद प्रक्षालन का सौभाग्य जैन मिलन वर्धमान के अध्यक्ष अनिल जैन, मंत्री शशांक जैन,सिधार्थ जैन, अनिल बामनोली,नितिन जैन, अंकित जैन, अमर जैन द्वारा किया गया।