चित्रकूट-नाना जी की संकल्पना के अनुरूप है ग्रामोदय विश्वविद्यालय की कार्यशैली - उच्च शिक्षा मंत्री कृषि परिसर में जिम और इंडोर खेल का किया शुभारंभ।
चित्रकूट: मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि प्रख्यात समाज शिल्पी भारत रत्न नानाजी देशमुख ने वर्ष 1991 में ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना केवल डिग्री डिप्लोमा बांटने के काम में लगे सामान्य विश्वविद्यालय के विकल्प के रूप में हमारे देश के प्रश्नों के समाधान खोजने के लिए किया था। यह विश्वविद्यालय अपने गौरवशाली उद्देश्यों के अनुरूप निरंतर आगे बढ रहा है। हमारे देश की अपनी शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्य और उद्देश्य को क्रियान्वित करने में यह विश्वविद्यालय सक्रियता के साथ अपना संपूर्ण योगदान देता रहेगा। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने इस आशय के विचार आज महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के सीएमसीएलडीपी सभागार में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं विकसित भारत/ 2047 विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि देश की स्वतंत्रता के बाद अपनी शिक्षा नीति पर काम होना चाहिए था, तत्समय संभव नहीं हो सका। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का यथार्थ स्वरूप विकसित भारत 2047 के रूप में पूर्णता के साथ परिलक्षित होगा। श्री परमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सदप्रयासों लक्ष्य भेदी कार्य योजना के अनुरूप मध्य प्रदेश सरकार भी काम कर रही है। इसका लाभ हमारे देश और प्रदेश को मिल रहा है। आज हमारा देश खाद्यान्न सहित अनेक क्षेत्रों में आत्मनिर्भर हो गया है। वैकल्पिक ऊर्जा के रूप में अपनाई जा रही सौर ऊर्जा अब भारत सहित अनेक देशों को ऊर्जा प्रदान करने में भी सफल होगी। उन्होंने सामाज उपयोगी विभिन्न आयामों में शोध करने पर जोर भी दिया। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने ग्रामोदय विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों, शोधार्थियों एवं छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी लोग भारत रत्न नानाजी देशमुख की संकल्पना, कार्यशैली एवं उनके आदर्शों के अनुरूप ग्रामोदय विश्वविद्यालय मे अध्ययन, अध्यापन, शोध, प्रसार और समाजोपयोगी काम को पूर्ण मनोयोग से करते रहें। ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो भरत मिश्रा से हुई चर्चा, अपेक्षित आवश्यकताओं और संसाधनों की पूर्ति के लिए प्रदेश सरकार जरूरी कदम उठाएगी। उन्होंने निर्देशित किया कि ग्रामोदय विश्वविद्यालय अपनी समस्याओं, संभावनाओं और आवश्यकताओं को संकलित कर उन्हें उपलब्ध कराये। वे इसकी पूर्ति के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। संगोष्ठी का प्रारंभ उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विद्यादायिनी मां सरस्वती के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से किया। इस अवसर पर ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर भरत मिश्रा सहित विश्वविद्यालय के शैक्षणिक एवं प्रशासनिक अधिकारियों कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं ने फूलमालाओं एवं बुके से उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया। छात्रा अंजली सिंह उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का स्वनिर्मित आकर्षक चित्र तैयार कर भेंट किया। कुलपति प्रोफेसर भारत मिश्रा ने ग्रामोदय परिवार की ओर से शाल श्रीफल और चित्रकूट के आराध्य कामदगिरि का चित्र भी भेंट किया।
कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने अपने स्वागत उद्वोधन में ग्रामोदय विश्वविद्यालय की अकादमिक, प्रशासनिक, शोध, प्रसार आदि गतिविधियो केंद्रित जानकारी प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने कार्यकाल में ग्रामोदय विश्वविद्यालय के विकास का खाका खींचा और बताया कि ग्रामोदय विश्वविद्यालय अपने विशिष्ट अधिनियम में प्रावधानित व्यवस्था के अनुसार पूरे प्रदेश में सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास के पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है। रेगुलर और दूरवर्ती दोनों माध्यमों के पाठ्यक्रमों संचालित हो रहे हैं। इस वर्ष ग्रामोदय विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में 70 हजार से अधिक विद्यार्थी पंजीकृत हैं। गुणवत्ता पूर्ण अध्ययन, अध्यापन, समय से प्रवेश, परीक्षा, मूल्यांकन और परिणाम इस विश्व विद्यालय की प्रमुख विशेषता है। एक्शन रिसर्च और सामाजिक उत्तरदायित्व पाठ्यक्रम नवाचार के तौर पर संचालित है। राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक प्रो अमरजीत सिंह, सह संयोजक प्रो आई पी त्रिपाठी रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रो कपिल देव मिश्र पूर्व कुलपति रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर रहे। धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ ललित कुमार सिंह ने किया। सफल संचालन डॉ कुसुम कुमारी सिंह ने किया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ भरत व्यास और अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा रीवा डॉ आर पी सिंह सहित ग्रामोदय विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता गण प्रो नंद लाल मिश्रा, डॉ आञ्जनेय पांडेय आदि शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, शोधार्थी और छात्र छात्राओं ने सहभागिता की।संगोष्ठी के बाद उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कृषि परिसर स्थित भारत रत्न राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कृषि परिसर में अध्ययन कर रहे विद्यार्थियो और शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने कृषि और ग्रामीण विकास के लिए ग्रामोदय विश्वविद्यालय में संचालित गतिविधियों की जानकारी ली। उच्च शिक्षा मंत्री ने कृषि पाठ्यक्रम और कृषि शोध की प्रगति को भी जाना। उन्होंने कृषि परिसर में नव स्थापित जिम और इंडोर खेल कार्यक्रम का कृषि एवम पशु पालन विभाग के प्राध्यापक डॉ उमेश कुमार शुक्ला द्वारा प्रस्तुत वैदिक मंत्रोचार के मध्य स्वास्तिक चिन्ह बना कर किया। इंडोर खेल खेला और जिम में प्रतीकात्मक व्यायाम किया। कृषि संकाय अंतर्गत उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के तत्वाधान में एक वृक्ष रोपण कर ट्री गार्ड स्थापित किया। कृषि संकाय के अधिष्ठाता प्रो डी पी राय सहित कृषि संकाय के प्राध्यापकों ने कृषि परिसर में बुके देकर स्वागत किया। कृषि संकाय के कार्यक्रम का संचालन डॉ उमेश कुमार शुक्ला ने किया।