भगवान श्रीकृष्ण स्वयं हैं पुरुषोत्तम, रास है उनकी लीला – आचार्य बृजेश।

चित्रकूट। श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा न केवल आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग दिखाती है, बल्कि भक्ति और प्रेम की सर्वोच्च अभिव्यक्ति भी है। जिला मुख्यालय स्थित कमल निवास में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिवस कथा प्रवक्ता आचार्य डॉ. बृजेश कुमार पयासी ने श्रीकृष्ण की लीला का गूढ़ रहस्य उजागर किया।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं पुरुषोत्तम हैं, जिनकी दिव्य लीलाएं केवल मनोरंजन या इतिहास भर नहीं, बल्कि मोक्षदायिनी हैं। उन्होंने दशम स्कंध का महत्व समझाते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत के अन्य स्कंध साधन स्वरूप हैं, लेकिन दशम स्कंध स्वयं साध्य है। यही कारण है कि इसमें श्रीकृष्ण की ऐश्वर्य और माधुर्य से परिपूर्ण लीलाओं का वर्णन किया गया है।
रास पंचाध्यायी – श्रीकृष्ण की दिव्य लीला
आचार्य डॉ. पयासी ने बताया कि रास पंचाध्यायी केवल नृत्य-गान नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण के निरोध स्वरूप का परिचायक है। यह लीला आत्मा का परमात्मा में लय कराने का माध्यम है। उन्होंने कहा, “जिस विधि से भी श्रीकृष्ण के चरणों में सम्प्रति हो जाए, वही वास्तविक निरोध है।”
रासलीला की आध्यात्मिक व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि गोपियां सांसारिक मोह और चतुर्विध पुरुषार्थ से परे जाकर भगवान की भक्ति में लीन हो गईं। वे न स्वर्ग की आकांक्षा रखती थीं, न ही मोक्ष की, बल्कि केवल श्रीकृष्ण की प्रीति ही उनका एकमात्र लक्ष्य था। इसी को रास का रहस्य माना जाता है।
हरि लीला का प्रवाह है भागवत कथा
आचार्य ने श्रीमद्भागवत कथा को एक प्रवाही नदी की उपमा देते हुए कहा कि सुकदेव महाराज ने इसकी व्याख्या ऐसे की है कि हर भक्त उसमें डूबकर अपना जीवन सार्थक कर सके। उन्होंने रासलीला को ‘कूप जल’ के समान बताया, जिसे प्राप्त करने के लिए श्रद्धा और समर्पण रूपी पात्र एवं रस्सी की आवश्यकता होती है।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के लिए वासना भी प्रेम का ही रूपांतरण है। गोपियां इस सत्य को भली-भांति जानती थीं, इसलिए उन्होंने सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर भगवान की इस लीला में भाग लिया।
कथा में श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब
श्रीमद्भागवत कथा के इस दिव्य आयोजन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। कथा में सोमा शुक्ला, पूर्व विधायक आनंद शुक्ला, शिखा मनीष शुक्ला, देवेन्द्र त्रिपाठी, सरिता त्रिपाठी, सतीश तिवारी, आद्विक त्रिपाठी, आदर्श मिश्रा (अंश पंडित), शेखर मिश्रा, हेमराज चतुर्वेदी, योगेश जैन, शिवशंकर त्रिपाठी, रामसागर चतुर्वेदी सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे।
आयोजकों ने बताया कि कथा के अगले दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और उद्धव संदेश पर विशेष व्याख्यान होगा।