ग्रामोदय महोत्सव के समापन समारोह में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की धूम।
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चित्रकूट ब्यूरो: महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय ग्रामोदय महोत्सव और विश्वविद्यालय स्थापना दिवस समारोह का भव्य समापन हुआ। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से समां बांध दिया। महोत्सव के दौरान विविध प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया। साथ ही, संत रविदास की जयंती पर उनके सामाजिक समरसता और मानवता के संदेश को याद किया गया।
समरसता और ज्ञान का संदेश
समारोह में कुलगुरु प्रो. भरत मिश्रा ने कहा कि संत रविदास ने समाज में समानता और न्याय की नींव रखी। उनके आदर्शों को अपनाकर एक समतामूलक समाज की स्थापना की जा सकती है। उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना पर प्रकाश डालते हुए कहा, "12 फरवरी 1991 को महाशिवरात्रि के दिन, भारत रत्न नानाजी देशमुख की प्रेरणा से इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। यह महोत्सव हमारी सामूहिकता और आत्मबोध का उत्सव है।"
सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन शाला विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलगुरु प्रो. बैद्यनाथ लाभ ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा, "संकल्प और मेहनत से कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती। जब आप दुनिया की हलचल का हिस्सा बनेंगे, तो ये पल आपको याद आएंगे। इन्हें सहेज लीजिए, क्योंकि ये जीवन में दोबारा नहीं मिलेंगे।"
विद्यार्थियों की शानदार प्रस्तुतियां
समारोह के दौरान विद्यार्थियों ने शानदार लोकनृत्य, नाटक, गीत और वाद्य संगीत की प्रस्तुतियां दीं, जिन्होंने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ललित कला विभाग के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत नृत्य नाटिका 'ग्राम से राष्ट्र तक' को खूब सराहना मिली। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का संयोजन डॉ. विवेक फड़नीश और संचालन ललित कला विभाग के विद्यार्थियों ने किया।
प्रतियोगिताओं के विजेता हुए सम्मानित
पांच दिवसीय महोत्सव में विभिन्न खेलकूद, बौद्धिक और सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनमें विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। समापन समारोह में विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इन प्रतियोगिताओं ने छात्रों में टीम भावना, अनुशासन और रचनात्मकता को प्रोत्साहित किया।
समारोह में कुलसचिव प्रो. आर.सी. त्रिपाठी, प्रो. नंदलाल मिश्रा, डॉ. अभय कुमार वर्मा, डॉ. ललित कुमार सिंह सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी और गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
संस्कृति और शिक्षा का संगम
ग्रामोदय महोत्सव ने विद्यार्थियों के भीतर संस्कार, समर्पण और सामाजिक जिम्मेदारी का भाव विकसित किया। यह आयोजन न केवल शिक्षा और संस्कृति का संगम बना, बल्कि ग्रामोदय से राष्ट्रोदय की भावना को साकार करता हुआ, सबके मन में एक नई ऊर्जा का संचार कर गया।