रामजी के पदचिन्हों पर चलने वालों की कमी, रावण सबके अंदर जागा हुआ है: डा. गुरमीत राम रहीम सिंह

रामजी के पदचिन्हों पर चलने वालों की कमी, रावण सबके अंदर जागा हुआ है: डा. गुरमीत राम रहीम सिंह

 पटाखे के एक दिन के प्रदूषण से हर कोई चिंतित, सालों से चल रही फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं के फिल्ट्रेशन के बारे में कोई नहीं सेाचता! 

संवाददाता मनोज कलीना 

बिनौली। रविवार को छोटी दीपावली का पर्व देश-विदेश की साध-संगत ने ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से संत डा गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां के साथ मनाया। उत्तर प्रदेश के जिला बागपत स्थित शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा से अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि,त्योहारों को पाक साफ और स्वच्छ तरीके से मनाएं। इस दौरान उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों से जुड़े कार्यकर्ताओं को नशा व अन्य सामाजिक बुराइया छुड़वाने  का प्रण कराया गया और उन्हें गुरुमंत्र दिया ।
       

ऑनलाइन सत्संग करते हुए कहा कि, त्योहार के दिन बड़ी खुशियां व उमंग लेकर आते हैं, लेकिन इन्सान इनके मीनिंग, मतलब को नहीं समझ पाता, क्योंकि,दीवाली तो हर कोई मनाता है, लेकिन रामजी के पदचिन्हों पर चलने वालों की कमी है और रावण सबके अंदर जागा हुआ है, कि आज लोग इन दिनों में जुआ खेलते हैं, नशे करते हैं, बुरे कर्म करते हैं और मनुष्य इसी को कहता है कि, हम त्योहार को इंजॉय कर रहे हैं, त्योहार को मना रहे हैं।कहा कि, यह कोई त्योहार को मनाने का तरीका नहीं है। 


त्योहार जिस लिए बने थे, आज कलियुगी इन्सान उससे बहुत दूर हो चुका है। इन्सान को समझ ही नहीं आ रही कि कैसे त्योहार को मनाया जाए।उन्होंने दीपावली पर पारंपरिक पटाखे चलाने पर लगाई जा रही रोक के संबंध में कहा कि ,पटाखों से तो सिर्फ एक दिन की प्रदूषण होता है, लेकिन इसके बाद भी जो पॉल्यूशन मापक हैं,वो रोजाना ही 300, 500, 1000 तक पहुंचे रहते हैं, तब कोई नहीं रोकता प्रदूषण फैलाने वालों को।


कहा कि, अफसोस की बात है, सभी का मुख्य फोकस हमारे धर्मो के त्योहार हैं । हमने सभी धर्मो में देखा है कि ज्यादातर में देवी-देवताओं, फरिश्तों की इज्जत की जाती है, सत्कार किया जाता है ,लेकिन हिंदू धर्म में हमारे देवी-देवताओं के रूप धारण करके कोई सड़क पर भीख मांग रहा है, तो कोई हमारे देवी-देवताओं के फिल्मों में रूप धारण करके उनकी बेइज्जती कर रहा है। इससे हमें दुख होता है। क्या इनके लिए कानून अलग अलग है, क्योंकि सभी का देश तो एक ही है। बाकी धर्मो में तो इस तरह से देवी देवताओं की बेइज्जती नहीं की जाती |


धनतेरस चली गई,लेकिन आप बुरा ना मानना, हमने कहीं पढा और सुना है कि इसमें सोना, चांदी खरीद लो, गाडिय़ा खरीद लो। हमने जहां तक पढा है, इस दिन योगा करना चाहिए, शरीर को स्वस्थ रहने के लिए काम करना चाहिए तथा साथ में देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए, ताकि आपके घरों में स्वच्छता आए, तंदरूस्ती आए। धनतेरस के बारे में बताते हुए कहा कि ,यह दिन धनवंतरी जी की याद में मनाया जाता है। जो योग और आयुर्वेद के ज्ञाता थे।