बसपा प्रत्याशी का राजपूत समाज में विरोध

अवनीश शर्मा

बसपा प्रत्याशी का राजपूत समाज में विरोध

बसपा प्रत्याशी का राजपूत समाज में विरोध

-क्षत्रिय स्वाभिमान महाकुंभ में मंच साझा करने से आयोजकों ने किया मना

-बिना अनुमति के क्षत्रिय समाज की पंचायत में पहुंचे थे बसपा प्रत्याशी 

-समाज की महापंचायत का उठाना चाहते थे राजनीतिक फायदा

विदित हो कि 7 अप्रैल रविवार के दिन क्षत्रिय स्वाभिमान संघर्ष समिति द्वारा क्षत्रिय महापंचायत का आव्हान किया गया था जिसमे लाखो की संख्या में राजपूतों के अलावा भी बाकि बिरादरी के लोगों ने हिस्सा लिया।

राजपूतों की इस महापंचायत का शोर राजनेतिक गलियारों में दूर दूर तक है क्योंकि इस महापंचायत में सभी लोकसभाओं पर बीजेपी प्रत्याशियों के बहिष्कार का निर्णय लिया गया।जब पंचायत पब्लिक से खचाखच भरी थी और बारी बारी से वक्ता मंच से बोल रहे थे इसी बीच बसपा प्रत्याशी श्रीपाल राणा ने जिंदाबाद जिंदाबाद के नारों के साथ गले में माला डाले हुए धमाकेदार एंट्री मारी।हालांकि संघर्ष समिति ने उन्हें या अन्य किसी भी प्रत्याशी को कोई निमंत्रण नही दिया और ना ही शासन प्रशासन की तरफ से उन्हें वहां जाने की इजाजत थी।इसी के चलते पुलिस फोर्स द्वारा भी उन्हें बाहर गेट पर रोकने की कोशिश हुई लेकिन उन्होंने किसी की एक नही सुनी और पंचायत में शामिल हो गए।

थोड़ी देर बैठे रहने के बाद जैसे ही मंच से अपनी बात रखने के लिए एक वक्ता का नाम बुलाया गया तभी उनके साथ आए समर्थको ने विरोध जताया कहा कि मंच से श्री पाल राणा बोलेगा जिसे लेकर आयोजकों और समर्थकों में तीखी नाेक झोंक हो गई। श्रीपाल राणा भी जिद करने लगे कि वें मंच से जरूर बोलेंगे लेकिन आयोजकों ने उन्हें मंच से बोलने के लिए साफ साफ इंकार कर दिया जिस कारण बड़ी जद्दो जहद के बाद भी श्रीपाल राणा को खाली हाथ वापिस लौटना पड़ा। पंचायत में उपस्थित लोगों का कहना है कि ये मंच और पंचायत कोई राजनीतिक कार्यक्रम नही है ओर ना ही उनके समर्थन में आयोजित हुई है। उन्हे भी यह मालूम होना चाहिए था। श्रीपाल राणा की इस तरह की जिद उन्हें भारी पड़ने वाली है क्योंकि यह श्रीपाल राणा या उनकी पार्टी का मंच नही था समाज के वरिष्ठ लोगों के समक्ष इस तरह की बचकानी हरकत उनके लिए अभिशाप साबित होगी।उनके समर्थकों द्वारा सुचारू रूप से चल रही महापंचायत में व्यवधान डालने को लेकर भी क्षेत्र में तरह तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं। क्षेत्र में लोगों का कहना है कि जनता को पैराशूट कैंडिडेट नही चाहिए। कैंडिडेट ऐसा होना चाहिए जो जनता के बीच रहे उनके सुख दुख में शामिल रहे।