नरैनी में शिवमहापुराण कथा: राष्ट्रीय संत स्वामी कमलदास बापू ने सुनाई सृष्टि की उत्पत्ति कथा।

बांदा, नरैनी: तहसील नरैनी के सढा गांव स्थित श्री वैष्णवों मांता मंदिर प्रांगण में महाकुंभ के उपलक्ष्य में आयोजित नौ दिवसीय श्री शिवमहापुराण कथा के तीसरे दिन राष्ट्रीय संत स्वामी कमलदास जी बापू ने श्रद्धालुओं को सृष्टि की उत्पत्ति और नारायण जन्म की पौराणिक कथा सुनाई। श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से कथा का श्रवण कर आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति की।
यह कथा राजस्थान, अलवर से पधारे श्री श्री 1008 श्री चतुर्भुज दास जी महाराज के शिष्य, राष्ट्रीय कथा वाचक स्वामी कमलदास जी बापू द्वारा कराई जा रही है।
सृष्टि की उत्पत्ति और यज्ञ का महत्व
स्वामी कमलदास जी बापू ने बताया कि सृष्टि की रचना शिव शिवा से हुई और नारायण की उत्पत्ति भी उसी से हुई। उन्होंने कहा कि वैदिक काल से ही यज्ञ, हवन, पूजा और अन्न ग्रहण से पहले भगवान को नैवेद्य अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है। यह परंपरा देव ऋण से मुक्त होने और परमात्मा की कृपा प्राप्त करने का मार्ग है।
उन्होंने 'शतपथ ब्राह्मण' ग्रंथ का उल्लेख करते हुए कहा कि यज्ञ को साक्षात भगवान का स्वरूप माना गया है। शास्त्रों में उल्लेख है कि यज्ञ में भोजन पहले दूसरों को खिलाकर फिर स्वयं ग्रहण करना चाहिए। वेदों के अनुसार, हव्य (अग्नि में दी गई आहुति) और नैवेद्य समर्पित करने से मनुष्य देव ऋण से मुक्त होता है।
बापू जी ने समझाया कि प्राचीन काल में नैवेद्य (भोग) को अग्नि में आहुति के रूप में अर्पित किया जाता था, लेकिन समय के साथ इसका स्वरूप बदल गया और अब इसे पूजा-पाठ या आरती के बाद प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
नैवेद्य और भक्ति का महत्व
बापू जी ने शास्त्रों के आधार पर बताया कि ईश्वर प्रेम और भक्ति से अर्पित किए गए पत्र, पुष्प, फल और जल को भी सहर्ष स्वीकार करते हैं। उन्होंने भगवद्गीता का श्लोक उद्धृत करते हुए कहा:
"पत्रं, पुष्पं, फलं, तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः॥"
अर्थात जो भी भक्त प्रेमपूर्वक पत्र, पुष्प, फल और जल अर्पित करता है, भगवान सगुण रूप में प्रकट होकर उसे ग्रहण करते हैं।
श्रद्धालुओं ने किया भक्ति रस का अनुभव
कथा के दौरान सैकड़ों श्रद्धालु भक्ति भाव से सराबोर होकर कथा का श्रवण करते रहे। इस दौरान कथा के मुख्य यजमान प्रमोद सोनी (धर्मपत्नी रुचि सोनी), राकेश सोनी (धर्मपत्नी सरगम), मंदिर पुजारी राजू जी (धर्मपत्नी रानी), भोला प्रसाद सोनी (धर्मपत्नी किशोरी देवी), प्रेमचंद सोनी (धर्मपत्नी कौशल्या), रामबाबू सोनी (धर्मपत्नी मुन्नी), रामशरण सोनी (धर्मपत्नी जमुना), अनूप सोनी, बाबूलाल कुशवाहा, दिनेश सोनी, लक्ष्मीकांत सोनी, अखिलेश सोनी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
श्री चित्रकूट धाम शिवरामपुर से पधारीं स्वामी कमलदास बापू की धर्मपत्नी श्रीमती ज्ञानवती देवी मिश्रा ने बताया कि कथा के प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है और भक्तिभाव से ओत-प्रोत वातावरण में कथा का आयोजन सफलतापूर्वक चल रहा है।
आगामी दिन की कथा को लेकर उत्साह
श्रद्धालु आगामी दिनों में होने वाली कथाओं को लेकर उत्साहित हैं। कथा के दौरान शिवमहापुराण के अन्य महत्वपूर्ण प्रसंगों को सुनने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर प्रांगण में एकत्र हो रहे हैं। आयोजकों ने बताया कि पूरे नौ दिनों तक भव्य आयोजन किया जाएगा और प्रतिदिन भंडारे का आयोजन भी होगा।