देवउठनी एकादशी पर खूब बजी शहनाईयां

देवउठनी एकादशी पर खूब बजी शहनाईयां
पंडित से लेकर हलवाई, बैंकेट हॉल, धर्मशालाएं, बैंड, टैंट व  फूल रहे व्यस्त
ब्यूटी पार्लरों पर भी रही भीड़, जिले भर में हुई सैकड़ों शादियां

शामली। शुक्रवार को देवउठनी एकादशी पर शहर में शादियों की धूम मची रही। पंडित से लेकर हलवाई व फूलों से लेकर गाडी सजाने वालों तक को फुर्सत नहीं मिली। शहर के सभी मैरिज हालों व धर्मशालाओं में बुकिंग फुल रही, वहीं गली मौहल्लों में स्थित ब्यूटी पार्लरों पर भी दुल्हनों का श्रृंगार कराने के लिए भीड लगी रही। करीब चार माह बाद शुक्रवार को देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु शयन से जाग गए जिसके बाद मांगलिक कार्यों की भी शुरूआत हो गयी। रविवार को जिले भर में सैंकडों से अधिक शादियों हुई।
जानकारी के अनुसार करीब चार माह बाद शुक्रवार को देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु शयन से जाग गए जिसके बाद मांगलिक कार्यक्रमों की भी शुरूआत हो गयी। शुक्रवार को जिलेभर में शादियों की धूम रही। बताया जाता है कि इस दिन सूझे व अनसूझे विवाद दोनों संपन्न हो जाते हैं। शुक्रवार को भी शादियों की धूम रही। पंडित से लेकर हलवाई, फूल, बैंड वाले, टैंट वालों को फुर्सत नहीं मिली, वही बैंकेट हाल व धर्मशालाएं भी फुल रहे। स्थानीय नाला पटरी पर गाडी सजाने वाले फूल वालों को भी सांस लेने की फुर्सत नहीं रही, एक गाडी सजकर जाती तो तुरंत दूसरी गाडी सजने के लिए पहुंच जाती, इस दौरान फूल वालों की भी जमकर चांदी कटी। शहर में कई स्थानों पर सजे धजे दूल्हे घोडियों पर नजर आए वहीं दुल्हनें भी सजने संवरने के लिए ब्यूटी पार्लरों पर पहुंची जिसके कारण ब्यूटी पार्लर संचालिकाओं पर भी काम का बोझ बना रहा। शामली शहर में दर्जनों मैरिज होम व धर्मशालाएं हैं जहां पूरे दिन व रात के समय शादी की शहनाई गूंजती रही। वहीं शहर के विजय चौंक, अजंता चौंक व बुढाना रोड पर वाहनों के जाम के कारण कई दूल्हों की गाडियां भी फंसी नजर आयी जिसे बामुश्किल किसी प्रकार निकलवाया गया। शादियांे को लेकर वर व वधु पक्ष में भी उत्साह नजर आया। कई परिवारों को तो बैंकेट हॉल या धर्मशालाओं में जगह न मिलने के कारण गलियों या खाली पडे प्लाट में ही शादी समारोह संपन्न कराना पडा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी देवउठनी एकादशी कहलाती है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु गहरी निद्रा से सोकर उठते हैं और इसी के साथ मांगलिक कार्यक्रमों की भी शुरूआत हो जाती है। हिंदू धर्म में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी की बहुत ही मान्यता है। इस दिन से मंगल कार्यों की शुरुआत होती है।