अपने लिए नहीँ, हमारे लिए लाइन में लगे हैं अन्नदाता, महीने भर से इंतजार के बाद खाद आया और------ खत्म---
ब्यूरो डा योगेश कौशिक
बागपत | यह तस्वीर वोट डालने वालों की लाइन नहीँ है, बल्कि देश के अन्नदाता की हमारे लिए गेहूं पैदा करने के लिए खाद पाने के लिए लगी है | यह खाद फ्री में नहीँ ,बल्कि सरकार की लापरवाही का परिणाम है कि, रबी की तैयारी में पहले से खाद उपलब्ध नहीँ करा सकी | पिछले एक महीने से किसान तो समितियों के चक्कर लगाते हारे थके, लेकिन समय पर खाद नहीँ आ सका | इस दौरान बहुत से किसान तो बिना डीएपी के ही गेहूं की बुवाई कर चुके थे, यह बात अलग है कि, पैदावार कम होगी |
अब भी खाद पर्याप्त मात्रा में नहीँ आया है, यही कारण है कि, किसानों में आपाधापी मची है | बिनौली में तो 6 घंटे में खाद खत्म भी हो गया और लाइन लगी रही | दोघट में हमारे लिए हंगामा करते अन्नदाता को डीएपी के लिए इतनी मशक्कत करनी पडेगी, किसानों के झूठे शुभचिन्तकों को एकबार नीति रीति व्यवस्था की इस झांकी को अपने ड्राइंग रूम में सजाने के लिए नहीँ बल्कि अन्नदाता के लिए यथार्थ में कुछ करने की कुव्वत के लिए लगा लेना चाहिए |
एक बात और --- घंटों से लम्बी लाइन में ,अपने लिए नहीँ, हमें भूखा न रहने देने के लिए डीएपी पाने को पापड बेलते ये किसान सरकार से फसलों के लाभदायक मूल्य की उम्मीद से जिस तरह निराश हैं, वैसे ही आज खाद खत्म होने पर निराश लौट गए |