प्रसिद्ध पुरातत्वविद तथा इतिहासकार अमित राय जैन की पुस्तक का विश्व पुस्तक मेले में हुआ लोकार्पण

प्रसिद्ध पुरातत्वविद तथा इतिहासकार अमित राय जैन की पुस्तक का विश्व पुस्तक मेले में हुआ लोकार्पण

भारत की सर्वाधिक प्राचीन मानव सभ्यता की केंद्र रही है सरस्वती नदी :इंद्रेश कुमार 

ब्यूरो डा योगेश कौशिक

बागपत | भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा आयोजित विश्व पुस्तक मेले में जनपद के गौरव इतिहासकार व पुरातत्वविद डॉ अमित राय जैन द्वारा लिखित पुस्तक "सरस्वती द मिस्टिकल रिवर ऑफ इंडिया" का विमोचन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता डॉ इंद्रेश कुमार द्वारा संपन्न हुआ | लोकार्पण समारोह में अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य डॉक्टर लोकेश मुनि ने भी इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज की |

सरस्वती नदी के महत्व एवं प्राचीन इतिहास पर लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध चिंतक डॉ इंद्रेश कुमार ने कहा कि, भारत की प्राचीनतम सभ्यता संस्कृति एवं मानव जाति के विकास का केंद्र बिंदु सरस्वती नदी के आसपास का क्षेत्र ही रहा है | यही कारण है कि,प्राचीन समय से ही सरस्वती नदी का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व भारत में माना जाता रहा, सरस्वती नदी के इतिहास एवं संस्कृति को विश्व के सामने लाने में बहुत सारे पुरातत्व क्षेत्र के बुद्धिजीवियों एवं इतिहासकारों ने अपना योगदान दिया है | इस श्रंखला में प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ अमित जैन ने यह पुस्तक का लेखन कर सरस्वती नदी की प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति के नवीनतम प्रमाण विश्व के सामने प्रस्तुत किए हैं |

इतिहासकार डॉ अमित राय जैन ने सरस्वती द मिस्टिकल रिवर ऑफ इंडिया के विषय में जानकारी देते हुए उपस्थित सभी श्रोताओं को बताया कि, यह पुस्तक सरस्वती नदी के प्राचीन स्रोत से लगाकर हरियाणा, राजस्थान, गुजरात इत्यादि समग्र नदी के प्रवाह क्षेत्र को अपने में समाहित किए हैं | प्रस्तुत पुस्तक में सरस्वती नदी सभ्यता के किनारे प्राप्त हुए प्राचीन पुरातात्विक मानव सभ्यता के प्रमाणों को भी एक स्थान पर संजोया गया है| सरस्वती नदी सभ्यता ,भारत की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है, परंतु जो काम पिछले 70 वर्षों में नहीं हुआ, अब वर्तमान केंद्र सरकार इस सरस्वती नदी के धार्मिक एवं पौराणिक महत्व के साथ-साथ इस के पुरातात्विक महत्व को भी विश्व के सामने लाने की ओर कदम बढ़ा रही है |

अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य डॉ लोकेश मुनि ने लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ,सरस्वती नदी का वर्णन वैदिक साहित्य , जैन एवं बौद्ध साहित्य में भी मिलता है | प्राचीन साहित्यिक प्रमाणों के आधार पर सरस्वती नदी की उपासना की जाती रही है, परंतु सैकड़ों वर्षो में प्राकृतिक कारणों से सरस्वती नदी लुप्त हो गई थी | भारत सरकार के केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय एवं हरियाणा सरकार के संयुक्त प्रयासों से इतिहासकारों एवं पुरातत्व के क्षेत्र में काम करने वाले बुद्धिजीवियों द्वारा जुटाए गए प्रमाणों के आधार पर सरस्वती नदी को खोज लिया गया है | वह सब महत्वपूर्ण कार्य प्रस्तुत पुस्तक में एक स्थान पर पढ़ने को मिल जाएगा | 

अध्यक्षता इतिहासकार प्रो केडी शर्मा ने की| किताबों वाले प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक प्रशांत जैन ने उपस्थित सभी अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया | पुस्तक लोकार्पण समारोह में सुधीर जैन, मोहित जैन, शकुन भाटिया, कार्तिक, प्रियंका, शुभा शर्मा आदि ने भाग लिया |