कैसे मिले प्रोत्साहन :बागवानी बोर्ड में तैनाती के अभाव में सुपरवाइजर तक नहींं , सांसद ने कृषि मंत्री को दी जानकारी

••बडौत को डार्क जोन से निकालने के लिए माइक्रो इरीगेशन सैंटर की स्थापना जरूरी : सांगवान

कैसे मिले प्रोत्साहन :बागवानी बोर्ड में तैनाती के अभाव में सुपरवाइजर तक नहींं , सांसद ने कृषि मंत्री को दी जानकारी

ब्यूरो डॉ योगेश कौशिक

बागपत। जनपद में बागवानी फसलों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से स्थापित बागवानी बोर्ड कार्यालय में अधिकारी तो क्या सुपरवाइजर तक नहींं है, जो बागवानी के लिए आयी नई योजनाओं की जानकारी तथा कीट आदि से बचाव हेतु बाग मालिकों की मदद कर सके। 

बता दें कि, वर्ष 2001-02 में राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड का कार्यालय स्थापित किया गया था, जिसमें उपनिदेशक स्तर के अधिकारी की तैनाती भी की गई थी,परन्तु इस कार्यालय की वर्तमान स्थिति यह है कि ,एक सुपरवाइजर भी यहाँ तैनात नहीं है।इतना ही नहीं ,कार्यालय भी हमेशा बन्द ही रहता है, जिस कारण यहाँ कोई कार्य नहीं हो रहा है।

लोगों का कहना है कि,इस क्षेत्र में बागवानी फसलों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, जिससे कि गन्ने पर निर्भरता कम हो सके।क्षेत्रीय सांसद डॉ राजकुमार सांगवान ने कहा कि, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की मांग के अनुसार इस क्षेत्र में बागवानी फसलों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। 

इस संबंध में उन्होंने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से खासतौर पर मुलाकात की और अनुरोध किया कि, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा स्थापित उक्त कार्यालय में आवश्यकतानुसार अधिकारियों व कर्मचारियों की तैनाती करते हुए इसे क्रियाशील किया जाए।

 *बड़ौत में माइक्रो इरीगेशन सैंटर की मांग* 

सांसद डॉ राजकुमार सांगवान ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात के दौरान विकास खण्ड बड़ौत में भू-जल का स्तर लगातार गिरने पर चिंता जताई तथा कहा कि, विकास खण्ड डार्क जोन के अन्तर्गत है तथा ऐसी स्थिति में खेती के लिए प्रयोग किये जाने वाले पानी को बचाने की आवश्यकता है। 

सांसद ने बताया कि,इस जनपद की मुख्य फसल गन्ना है, जिसमें पानी की अधिक आवश्यकता होती है। इस फसल के स्थान पर अन्य फसलों, विशेष रूप से बागवानी फसलों को प्रोत्साहन दिये जाने से किसानों की आय में वृद्धि होगी।इसके लिए क्षेत्र में एक सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स फॉर माइक्रो इरीगेशन स्थापित किये जाने की आवश्यकता है, जिसमें पानी की बचत के लिए अपनायी जाने वाली विभिन्न सिंचाई विधियों का प्रदर्शन व प्रशिक्षण की सुविधा भी हो। इसके साथ-साथ फसलों का विविधीकरण पर भी ध्यान दिया जाये। बताया कि इसके लिए केंद्र द्वारा संचालित अटल भूजल योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PDMC), एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजनाएँ ,वित्त पोषित करती हैं।

सांसद ने इसके लिए सुझाव दिया कि, बड़ौत में ग्राम्य विकास विभाग के अधीन प्रशिक्षण केन्द्र के पास भूमि उपलब्ध है, जो पूर्व में कृषि के लिए ही उपयोग में आती थी। आज यह भूमि बेकार पड़ी है। भूमाफिया इस पर कब्जे की फिराक में हैं।अतःजनपद में किसान हित में उक्त सेन्टर स्थापित करने हेतु सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित करने का कष्ट करें ।