कुर्डी टीले पर मिले मृदभांडों से पुराविद उत्साहित, पुख्ता निष्कर्ष के लिए नये ट्रेंच बनाने की तैयारी

••सिनौली और तिलवाड़ा में हुई खुदाई से प्राप्त पुरावशेषों से भी होगा तुलनात्मक अध्ययन

कुर्डी टीले पर मिले मृदभांडों से पुराविद उत्साहित, पुख्ता निष्कर्ष के लिए नये ट्रेंच बनाने की तैयारी

संवाददाता आशीष चंद्रमौलि

छपरौली। क्षेत्र के कुर्डी टीले पर चल रहे उत्खनन में अब नए राज सामने आने शुरू हो चुके हैं। यहां मिल रहे पुरावशेष प्राचीन सभ्यता की मौजूदगी को पुष्ट करते है। शोधार्थियों के सामने जहां कुछ अहम मृदभांड आए हैं, वहीं और भी पुख्ता निष्कर्ष के लिए नये ट्रेंच बनाने की तैयारी भी की गई है।

बता दें कि, खुदाई में मृदभांड के अलावा ईंटें भी काफी मात्रा में निकल रहीं हैं ।भारतीय विरासत संस्थान के द्वारा कुर्डी टीले पर उत्खनन का काम किया जा रहा है, जहां पर 12 ट्रेंच लगाकर खोदाई की जा रही है। अभी तक पुरातत्वविदों व शोधार्थियों के सामने ईंटें, मृदभांड ही सामने आ रहे हैं। 

शोधार्थियों के सामने आज कुछ अहम मृदभांड सामने आए हैं। जिन पर शोध किया जाएगा। खोदाई में अधिकतर ट्रेंचों में ईंटें काफी संख्या में निकल रहीं हैं, जो मानव बस्ती के प्रमाण दे रहीं हैं। वहीं तिलवाड़ा में भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा उत्खनन कार्य कराया जा रहा है। यहां एक ट्रेंच में चबूतरानुमा आकृति पुरातत्वविदों के लिए बहुत अहम है, जिसे निकालने के लिए खोदाई की जा रही है। इस आकृति से बहुत कुछ इतिहास जुड़ा हुआ समझा जा रहा है। शोध के बाद यह आकृति कई राज उगल सकती है, जिस पर पुरातत्वविदों की नजरें टिकी हुईं हैं। इसके अलावा सिनौली की तरह मृदभांड, हड्डियां, मिट्टी के बर्तन निकल चुके हैं और कुछ अभी जमीन के अंदर हैं, जिन्हें सुरक्षित निकालने के लिए खोदाई की जा रही है । 

शनिवार को टीम द्वारा गहरी खुदाई की गई, जिसमें अनेक प्रकार के मृदभांड मिलें हैं ,जिनकी पहचान की जा रही है। टीम के अधिकारियों का कहना है कि, जितनी गहरी खुदाई होगी ,उतनी ही पुरातन वस्तुएं मिलने की संभावना है। आज अलग-अलग तरीके से खुदाई की गई है, जिसके परिणाम भी उत्साहित करने वाले हैं।