गाजियाबाद की हवा जहरीली, ग्रेप लागू होने के बाद भी नहीं मिली राहत
गाजियाबाद: जिले की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। शनिवार को गाजियाबाद देश का सातवां सबसे प्रदूषित शहर रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, जिले का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 310 दर्ज किया गया, जो "बेहद खराब" श्रेणी में आता है। इंदिरापुरम का AQI सुबह 8 बजे 419 तक पहुंच गया, जबकि दोपहर में गिरावट के बावजूद यह 395 रहा।
ग्रेप के बावजूद भी सुधार नहीं
15 अक्टूबर से जिले में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू है, लेकिन इसका प्रभाव नजर नहीं आ रहा। GRAP के तहत विभिन्न प्रदूषणकारी गतिविधियों पर रोक लगाई गई थी। इसकी जिम्मेदारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जीडीए और नगर निगम समेत अन्य विभागों को दी गई थी, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्यवाही न होने के कारण प्रदूषण में कोई खास कमी नहीं आई।
अवैध कारखानों का संचालन प्रमुख कारण़
विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों का मानना है कि अवैध फैक्ट्रियों का संचालन जिले में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। इन पर सख्त कार्रवाई न होने से हवा फिर से जहरीली हो गई है।
प्रदूषण़ नियंत्रण़ कार्यालय पर प्रश्न चिन्ह
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय वसुंधरा में स्थित है, लेकिन यहां का AQI भी 363 दर्ज किया गया। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब अधिकारी अपनी नाक के नीचे प्रदूषण नहीं रोक पा रहे हैं, तो अन्य क्षेत्रों में सुधार की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
देश के सबसे प्रदूषित शहर
शनिवार को देश के सबसे प्रदूषित शहरों में गाजियाबाद सातवें स्थान पर रहा:
1. बर्नीहाट - 379
2. दिल्ली - 378
3. नोएडा - 365
4. बद्दी - 355
5. राजगीर - 325
6. तालचेर - 315
7. गाजियाबाद - 310
क्षेत्रवार AQI की स्थिति
इंदिरापुरम: 395
लोनी: 268
संजय नगर: 216
वसुंधरा: 363
क्या कहते है ज़िम्मेदार
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी विकास मिश्रा ने बताया कि GRAP के नियमों का पालन कराने के लिए संबंधित विभागों के साथ समन्वय किया जा रहा है। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जा रहा है।
स्थानीय लोगों की मांग
लोगों का कहना है कि प्रदूषण पर रोकथाम के लिए योजना बनाकर जमीनी स्तर पर कार्य करने की जरूरत है। अवैध फैक्ट्रियों पर तुरंत कार्रवाई और सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाने की मांग जोर पकड़ रही है।
स्वास्थ्य के लिए खतरा
इस स्थिति से सांस की बीमारियों, अस्थमा और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। प्रशासन को तत्काल प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, ताकि नागरिकों को साफ और सुरक्षित हवा मिल सके।
ब्यूरो सुनील यादव (गौतमबुद्ध नगर)