अभिभावक संतान को धन संपत्ति देने के साथ ही संस्कार भी दें : जैन मुनि

अभिभावक संतान को धन संपत्ति देने के साथ ही संस्कार भी दें : जैन मुनि

संवाददाता आशीष चंद्रमौली

बडौत।आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज ने ऋषभ सभागार मे दिगंबर जैन समाज समिति द्वारा आयोजित धर्मसभा मे मंगल प्रवचन करते हुए कहा कि जिस प्रकार जल में बुलबुले उठते हैं और शांत हो जाते हैं ,उसी प्रकार व्यक्ति जन्म लेता है और देखते ही देखते मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। खिला हुआ पुष्प, संध्या काल में मुरझा जाता है। प्रातः उदित सूर्य संध्या काल में अस्त हो जाता है। इस संसार का यही यथार्थ स्वरूप है। यह संसार असार है निस्सार है।


     
आदर्श संस्कारित शिक्षा ही विद्यार्थियों को शिक्षित कर सकती है ।राम जैसा बेटा चाहिए तो तुमको दशरथ बनना होगा। संस्कारित संतान ही सनातन धर्म को चला सकती है। संस्कारित संतान ही देश का विकास कर सकती है। इसलिए अभिभावक संतान को संपत्ति देने के साथ ही संस्कार भी प्रदान करें।आह्वान किया कि, पापों से बचो ,पुण्य कार्य करो ।अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाओ ।जीवन के मूल्य को समझो ।अपना लक्ष्य बनाओ और फिर लक्ष्य के अनुसार श्रम करो ।विवेकपूर्ण किया गया पुरुषार्थ ही फलित होता है। किसी को कष्ट मत दो। जीवो की रक्षा करो ।जीव रक्षा ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है सभा मे प्रवीण जैन, सुनील जैन, अतुल जैन,विनोद जैन, वरदान जैन,राकेशसभासद,अशोक जैन, मनोज जैन, पुनीत जैन, दिनेश जैन आदि मौजूद रहे।