ग्रेजुएशन के बाद नौकरी के प्रयास में नाकामयाब पर खेती में ईख की ऊंची और स्वस्थ फसल तैयार करने में मिली उल्लेखनीय सफलता

ग्रेजुएशन के बाद नौकरी के प्रयास में नाकामयाब पर खेती में ईख की ऊंची और स्वस्थ फसल तैयार करने में मिली उल्लेखनीय सफलता

प्रगतिशील युवा किसान के रूप में पहचान बनाने को बेताब जितेंद्र राणा

ब्यूरो डा योगेश कौशिक


बागपत | जनपद के दाहा भडल क्षेत्र में साढ़े आठ से नो फुट ऊंची गन्ने की तैयार फसल देखकर हर कोई किसान की मेहनत और उसके द्वारा बरती गई सावधानियों व दवा, खाद और बीज के बारे में जानकारी जुटा रहा है | 

ग्रेजुएशन करने के बाद नौकरी की तलाश में भडल के जितेंद्र राणा को खेती किसानी में ही आना पडा , लेकिन पुराने ढर्रे के बदले ,बीज , खाद और दवाई का चयन उसने खुद किया, जिसे ईख की फसल में इस्तेमाल कर देखा गया | ऊंची और ऊंची तथा सबसे ऊंची ईख की फसल देखकर जहाँ जितेंद्र राणा स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा है वहीं उसके पिता सतबीर सिंह राणा भी उसकी कमर थपथपाते हैं | वहीं खेत में कुर्सी पर खड़े होकर तथा हाथ उठाकर भी ईख की पौरी के ऊपरी छोर को छूने की कोशिश में नाकाम होने पर भी सफल प्रयास से खुश हैं जितेंद्र राणा |

जितेंद्र राणा ने बताया कि, उसने अपने 8 बीघा खेतों में 0238 बीज को बोया था | कीटनाशक दवाओं, यूरिया व पानी का समय पर बेहतर प्रबंधन तथा एक विशेष दवाई पारस वी 90 का इस्तेमाल करने से न तो फसल पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और न ही ईख की हरियाली कम हुई | पानी समय पर और बढवार लगातार होती देख मन प्रसन्न होता था |

प्रगतिशील युवा किसान जितेंद्र राणा ने बताया कि, उनके द्वारा एक बीघा ईख की फसल पर करीब 600 रुपये की दवाई का अतिरिक्त खर्च किया गया |यूरिया और पानी अन्य किस्मों के अनुसार थोड़ी ज्यादा करते रहना पडा | उन्हें उम्मीद है कि, उनकी तैयार फसल को, चीनी मिलों अथवा दवा कंपनी द्वारा ईख की आदर्श फसल के उत्पादक के रूप में जरूर चयनित करेंगे | 

एक सवाल के जवाब में जितेंद्र राणा ने बताया कि, उसके अतिरिक्त सतेंद्र फौजी द्वारा इसी तरह से ईख की फसल तैयार की है | किसान का परिश्रम उस समय कामयाब हो जाता है ,जब उसकी फसल दूसरों के द्वारा देखकर प्रशंसा के योग्य हो जाती है | बताया कि, उन्हें उम्मीद है कि उनकी इस तैयार फसल से प्रति बीघा 100 कुंतल गन्ना होने का अनुमान है |