नगर निकाय चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए भाजपा ने सपा बसपा और कांग्रेस पर साधा निशाना
संवाददाता नीतीश कौशिक
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बागपत | प्रदेश में अब नगर निकाय चुनाव तीन महीने बाद ही हो पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि ,यूपी में जल्द से जल्द निकाय चुनाव कराए जाएं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से साफ है कि, अब चुनाव ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद ही होंगे |
उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में किये गए निर्णय का स्वागत करते हुए विधायक योगेश धामा ने कहा कि, भाजपा राजनीतिक सत्ता को व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन और विकास की दौड़ में पिछड़ गए लोगों के उत्थान और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने हेतु साधन के रूप में देखती है। आरोप लगाया कि ,न्यायालय के आदेश से समाजवादी पार्टी का षड़यंत्र विफल हो गया है।
जिला अध्यक्ष सूरजपाल सिंह ने कहा कि ,भाजपा और सरकार पिछडे़ वर्ग के साथ ही समाज के सभी वर्गो के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। अपने शासनकाल में सपा-बसपा व कांग्रेस ने पिछडे़ , दलितों, शोषित, पीड़ित, वंचितों का वोट तो लिया, लेकिन इनके लिए कुछ नहीं किया साथ ही भ्रम फैलाकर इनको छलने का काम किया है। कहा कि ,सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पिछड़ा वर्ग के सहयोग से सत्ता प्राप्त की, लेकिन सत्ता का लाभ सिर्फ सैफई कुनबे तथा उनके कुछ चहेते लोगो तक ही सीमित रहा।
आरोप लगाया कि ,सपा ने अप्रत्यक्ष रूप से हाईकोर्ट में रिट दायर करवाकर नगरीय निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग आरक्षण को समाप्त करने का षडयंत्र रचा था, लेकिन सपा अपने षड़यंत्र में सफल नहीं हो सकेगी।इसी क्रम में सपा की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि ,अखिलेश यादव के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से रिश्ते किसी से छुपे नहीं हैं। बिहार सरकार ने पिछडे़ वर्ग के हितों की अनदेखी करते हुए निकाय चुनाव बिना आरक्षण के करा दिये ,तब खुद को राष्ट्रीय पार्टी का मुखिया कहने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव चुप क्यों थे ? कहा कि ,भाजपा की नीति सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास की नीति है ,जबकि अखिलेश यादव की नीति अपने परिवार और अपने रिश्तेदारों के विकास तक सीमित है।
राज्यमंत्री केपी मलिक ने भी उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में किये गए निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर पिछड़ा वर्ग सहित सभी वर्गों के हितों की रक्षा के संकल्प को पूरा किया है। मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए भी आरक्षण को सुनिश्चित किया। इसका ही परिणाम है कि ,समाज में यह भाव जागृत हुआ है कि अत्यंत गरीब पृष्ठभूमि से आने वाला व्यक्ति भी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों से उत्पन्न चुनौतियों से पार पाकर भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है और देश को एक नई ऊंचाई तक ले जा सकता है।