गौवर्द्धन की पूजा के माध्यम से गौवंश की सेवा और समृद्धि का संकल्प

गौवर्द्धन की पूजा के माध्यम से गौवंश की सेवा और समृद्धि का संकल्प

संवाददाता डॉ अरुण राठी

बागपत।जिले के विभिन्न गांवों व कस्बों में सोमवार को गोव‌र्द्धन पूजनोत्सव धूमधाम से मनाया गया। कस्बा टीकरी में किसान चौ रामपाल सिंह के परिवार ने गोधन (बछिया) की पूजा की और खीर का प्रसाद खिलाया। 

किसान रामपाल सिंह ने बताया कि, दीवाली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों व गौवंश की पूजा की जाती है। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इस तरह गौ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है।

जानकर बताते हैं कि, हजारों साल पहले आज ही के दिन इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने अपना अलौकिक अवतार दिखाते हुए गोव‌र्द्धन पर्वत को अपनी हाथ की तर्जनी अंगुली पर उठाकर इंद्र के घमंड को चूर-चूर किया था। तब से चली आ रही परंपरा के तहत गोव‌र्द्धन पूजा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। 

जनपद में इस अवसर पर गायों को नहला-धुलाकर खूब सजाया-संवारा गया। तत्पश्चात् गाय की पूजा कर उनकी आरती भी उतारी गई। बताया जाता है कि, कृष्ण ने सात दिनों तक लगातार पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाए रखा था। इतना समय बीत जाने के बाद इंद्र कोअहसास हुआ कि, कृष्ण कोई साधारण मनुष्य नहीं हैं। तब वे ब्रह्मा जी के पास गए। जहां उन्हें ज्ञात हुआ कि ,श्रीकृष्ण कोई और नहीं स्वयं श्रीहरि विष्णु के अवतार हैं। इसके बाद देवराज इन्द्र ने कृष्ण की पूजा की और उन्हें भोग लगाया। तब से गोव‌र्द्धन पूजा की परंपरा कायम है। मान्यता है कि इस दिन गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं।