बच्चों और युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने में बुजुर्ग निभाएं महत्वपूर्ण भूमिका: संत हर्ष सागर

बच्चों और युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने में बुजुर्ग निभाएं महत्वपूर्ण भूमिका: संत हर्ष सागर

संवाददाता सीआर यादव

अमीनगर सराय।जैन संत हर्ष सागर महाराज ने कहा कि ,लोभ पाप का बाप है , लोभ के वशीभूत होकर इंसान अच्छे बुरे की पहचान ही भूल जाता है। जैन संत बुधवार को जैन मंदिर में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे । 

उन्होंने कहा कि, प्रेम और वात्सल्य के साथ धर्म अंगीकार करो।आज दुनिया में अंधविश्वास का बोलबाला है, जिससे धार्मिक मर्यादाएं टूट रही हैं और इंसान सिर्फ स्वार्थवश धर्माचरण  कर रहा है ,जबकि निष्काम पूजा भक्ति ही फलदायी कहलाती है ।उन्होंने कहा कि, भगवान की वाणी को हमें अपने हृदय में उतारना चाहिए, सच्चा धर्मात्मा वही है, जिसके अंदर करुणा, दया, अहिंसा के भाव हों। वहीं आज का इंसान दूसरों में बुराई ढूंढता है, जबकि उसे अच्छाई  ढूंढनी चाहिए। उन्होंने बच्चों को धार्मिक और नैतिक संस्कार देने की पुरजोर अपील करते हुए कहा कि, यदि बाल और युवा पीढ़ी को आज हमने अच्छे संस्कार नहीं दिए ,तो उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा , साथ में हमारा बुढ़ापा भी बिगड़ जाएगा।

इस दौरान उन्होंने जिनदत सेठ की कथा सुनाकर सभी को धर्मात्मा बनने की सीख दी।इससे पूर्व दिनेश जैन ने मेरी भावना का पाठ किया। धर्म सभा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर नारी उपस्थित रहे।